Book Title: Kaise Kare Is Man Ko Kabu
Author(s): Amarmuni
Publisher: Guru Amar Jain Prakashan Samiti

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Page 34
________________ लेंगे, मरहम पट्टी कर लेंगे पर अगर भीतर जख्म हो जाए तो उसके लिए ज्यादा जहमत उठानी पड़ती है। इसलिए प्रभु महावीर ने द्रव्य हिंसा की अपेक्षा भाव हिंसा को ज्यादा हानिकारक बताया है। भाव हिंसा कहाँ पैदा होती है ? मन के भीतर । और ये भी हम जानते हैं कि जो मन में पैदा होता है वही शरीर के द्वारा क्रिया रूप में बाहर घटित होता है। हम कोई अच्छा काम करते हैं तो उसकी पृष्ठ भूमि भी मन के भीतर ही तैयार होती है और अगर कोई बुरा काम करते हैं तो उसका नींव पत्थर भी हमारे मन के धरातल पर ही टिका होता है। N तो आप अपने मन को शुभ में भी जोड़ सकते हैं और अशुभ की ओर भी अपने आपको मोड़ सकते हैं क्यूंकि आप मालिक हैं, गुलाम नहीं। तो फिर देर किस बात की ? उठिए, जागिए और तोड़ डालिए परतंत्रता की इन बेड़ियों को। आज की नव प्रभात आपको जीवन की नई और सही दिशा पर बढ़ने की प्रेरणा दे रही है...... 32

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