Book Title: Kaise Kare Is Man Ko Kabu
Author(s): Amarmuni
Publisher: Guru Amar Jain Prakashan Samiti

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Page 39
________________ लिया ? स्वामी रामतीर्थ ने कहा- मैंने अपने मन को जीत लिया। उन्होंने जीत लिया अपने मन को। तो क्या हम नहीं जीत सकते ? जीत सकते हैं ? क्यूं नहीं जीत सकते ? कौन कहता है नहीं जीत सकते? बस हमें अपने संकल्प बल को मजबूत करना होगा। तो कायरता छोड़िये, शूरवीरता अपनाइए और लग जाइए साधना की राह पर, सफलता एक दिन जरूर मिलेगी। और हां, मन को जीतने का अर्थ ये नहीं कि-आप घर-बार छोड़कर जंगलों में चले जाएं, कि साधु सन्यासी हो जाएं। बाणा (वेष) बदलने से कुछ न होगा जब तक कि बाण यानि आदत न बदलोगे, चोला रंगने से कुछ हाथ न लगेगा जब तक कि मन को प्रभु भक्ति में न रंगोगे। - और जिस दिन मन को रंग लिया फिर आप रहें भले ही संसार में पर तब संसार आपके भीतर नहीं रहेगा। तब आपके कर्म भी आपकी पूजा बन जाएंगे, प्रार्थना हो जाएंगे। तो अंत में बस इसी आशा के साथ कि हे प्रभु ! वो प्रार्थना के फूल हर दिल के आंगन में खिल जाएं... ॐशाति!

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