Book Title: Kaise Kare Is Man Ko Kabu
Author(s): Amarmuni
Publisher: Guru Amar Jain Prakashan Samiti
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ज्यू ही नगर में पहुँचे, तभी बारिश शुरू हो गई। इधर-उधर देखा, एक सूचनापट (बोर्ड) नजर आया, जिस पर लिखा था- 'जिंदा नाच'/ छोटा भाई कहने लगा- चलो, नाच घर में चलें। बारिश से भी बच जाएंगे और नाच भी देख लेंगे। पर बड़ा भाई कहने लगा- ना भाई ! चाहे कुछ हो, मैं तो माधव जी के मंदिर में ही जाऊँगा । छोटा भाई बोला- आपने जाना है तो जाओ, मुझसे तो बारिश में भीगा नहीं जाता ।
आखिर जी छोटा भाई नाच घर में चला गया और बड़ा बेचारा किसी तरह भीगता-भागता मंदिर में पहुँच गया। वहाँ कीर्तन हो रहा था-'हरे रामा, हरे कृष्णा ।' वो थोड़ी देर तो झूमा पर फिर दिमाग घूमा-अरे कहाँ फंस गया ? तेरा भाई बढ़िया रहा जो मजे से नर्तकी का नाच देख रहा होगा। बैठा मंदिर में है पर वहीं उसे नाच घर के नजारे नजर आ रहे हैं।
उधर छोटा भाई, जो नाच घर में बैठा है, पर्दा हटा, और मंच पे एक अर्ध नग्न युवती थिरकती हुई आई । वो नाच देखते हुए विचार करता है-अरे ये भी कोई जीवन है ? चंद चांदी के टुकड़ों के लिए ये अपने शरीर की नुमाईश कर रही है। ये तो नारी समाज पर कलंक है। तूं भी कहाँ आके फंस गया। धन्य है तेरा वो भाई, जो माधव
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