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• वृत्ति एवं प्रवृत्ति • मन का मंथन • मनोबल और मानसिक स्वास्थ्य का वर्गीकरण • अध्यात्म एवं आयुर्वेद • वीतराग की भूमिका ।
५. अपना आलंबन स्वयं बनें
गुप्ति की साधना • मनोबल मजबूत करें मानस दोष मानस दोष के प्रकार • कर्म उद्देश्य का अंतर • मात्सर्य • भय
१०७-१३६
• जहाँ शोषण, वहाँ समस्या • शोषणमुक्त समाज • शोषण : धार्मिक दृष्टि • व्रत व्यवस्था • समाज में श्रम की स्थापना • प्रगति का पथ श्रमनिष्ठा का सिद्धान्त • दुःख से बचाव • सुख और दुःख अभावात्मक परिभाषा • भावात्मक परिभाषा • संवेदन और सुख का संबंध • महावीर की परिभाषा • सुख-दुःख का सेतु • नया ब्रह्मचर्य • चिंतन की दिशा कायाकल्प उच्च लक्ष्य के पथ पर • एक लक्ष्य • पड़ाव नहीं है लक्ष्य • पुरुषार्थ एवं क्षयोपशम • भाग्य की डोर • आत्मा से जुड़ाव • आत्मप्रज्ञ बनो • लक्ष्यपथ का चयन • अनेकात्मक है ध्यान की पद्धति • आत्मा का स्वास्थ्य • अगर समझ होती • ध्येय और ध्याता • वह ध्यान कैसे करेगा ? • ध्येय के प्रकार • साक्षात्कार के सरल सूत्र • संभव है साक्षात्कार • साक्षात्कार का उपाय • बड़ा कौन ? इंद्रिय और मन का निरोध • शक्ति का संचार • अमन की अवस्था • अस्तित्व का अनुभव ।
६. प्रकृति एवं विकृति
१३७-१६०
'पर' से है परिचय
• नींव के पत्थर • तीन निर्णायक सत्य • जीवन की दिशा • सार्थक सहवास • आत्मदर्शन की भूमिका • घटना और संवेदन स्वस्थ जीवन की शैली • अनेकांत के पहलू • अनेकांत दृष्टि • सत्य की खोज • नवांगी जीवन • स्वास्थ्य का मूल आधार • मस्तिष्क तथा श्वसन स्वस्थ समाज की संरचना • संवेग का संतुलन • अनासक्ति • जीवनशैली की त्रिपदी • अध्यात्म से आरोग्य • वीतरागता की दिशा • अध्यात्म और आयुर्वेद • मूल का मर्म • विधेयक भावों का निर्माण • पदार्थ के पर्याय • भावधारा ।
७. दिशा और दशा
१६१-१८२
• मौलिक मनोवृत्तियाँ • दिशा से दशा का परिवर्तन
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हृदय परिवर्तन के सूत्र • अहिंसा की शक्ति • जीवन की दो धाराएँ • अभय का मूल अहिंसा • समानता की स्थापना • कर्म की प्रकृति समाज की स्थिति • बदलने का सामर्थ्य • असमानता की अभिव्यक्ति • समाज का बिखराव • समानता के हेतु • जातिभेद का कारण • आंदोलन की आवश्यकता • अहिंसा की वास्तविक सच्चाई • प्रश्न है औचित्य का • श्रेष्ठता की कसौटी • युग की समस्या • जीवन और जीविका • अभयारण्य वर्तमान की जागरूकता जीवन है समन्वय
• जीवन का लक्ष्य • जीवन व जीविका ।
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