Book Title: Jo Sahta Hai Wahi Rahita Hai
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 11
________________ अनुक्रम १. जो सहता है, वही रहता है १-१२ • शक्ति और सहनशीलता • शक्ति के स्रोत • शक्ति के केन्द्र शक्ति की पहचान • संकल्प से शक्ति का अनुभव • सहनशीलता हो व्यक्ति की पहचान • स्वार्थ की सीमा • स्वार्थ और परमार्थ • समाज में संवेदनशीलता • स्वभाव और सहनशीलता • संक्रमणशील है संसार • सहिष्णुता का कवच • विचार का परिष्कार • प्रशिक्षण का मूल्य । २. जीवन में परिवर्तन १३-४८ • • द्रव्य और पर्याय • जीवन का आधार परिवर्तन का हेतु दुःख : यथार्थ व अयथार्थ • क्रोध की आग • परिवर्तन एवं परिस्थिति स्वयं पर स्वदृष्टि • जीवन के पक्ष और प्रणालियाँ • सच्चा सुख स्वाधीनता • परिस्थितिवाद से मुक्ति • शस्त्र और परिस्थिति • संत की समता • परिस्थिति पर दोषारोपण • अस्तित्व और नास्तित्व • दृष्टिकोण में परिवर्तन विचारों में विरोध • मन की मीमांसा • मन और मनन • संचालक तत्त्व • वात विकार के परिणाम • पित्त के परिणाम • सोचने की कला • चिंतन और चेतना । ३. समता की दृष्टि ४९-७४ • सत्य का साक्षात्कार • क्रोध: कारण और निवारण • समता है तीसरी आँख • साधना का सूत्र • प्रतिक्रिया पर नियंत्रण • पुष्ट आलंबन सत्य के विविध आयाम • अनेकांत सूत्र विरोधी प्रवाह विज्ञान की दृष्टि से आवश्यकता • व्यवहार के विभिन्न आधार • निषेधात्मक भाव से बचाव • संभव है सह अस्तित्व • जीभ की विकृति व्यक्त एवं अव्यक्त शत्रु एवं मित्र । प्रतिपक्ष की ४. व्यक्तित्व के विविध रूप ७५-१०६ • परिवर्तन का नियम व्यक्तित्व के प्रकार मनोदशा नामकरण का आधार • सापेक्ष सत्य • अभय कैसे बनें ? • बुद्धि और अभय • बुद्धि और भय • भय और अभय की आवश्यकता भय का कारण अभय है आत्मस्थ • भयग्रस्त कौन ? • न डरें, न डराएँ • प्रतिक्रिया से बचाव • प्रतिक्रिया के हेतु • सापेक्ष दृष्टिकोण • भाषा की दुर्बलता • स्यात् शब्द की सार्थकता • प्रवृत्ति और परिणाम Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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