________________
भावार्थ-लाख योजनके जंबुद्वीपमें एक योजन सम चतुरन कितने खंडवे होंगे? उसका क्रम आगे दिखाते है ॥
एक लाख योजनकी परिधीका जो अंक आय उसको मूल क्षेत्रके चोथे भागसें गुणा करणेपर "क्षेत्रफल बनता है" ॥६॥ विक्खंभवग्गदहगुण, करणी वदृस्स परिरओ होई। विक्खंभपायगुणिओ, परिरओ तस्स गणियपयं ॥७॥ | अर्थ-जंबुद्वीपका (विख्खंभ) विष्कंभ याने गोल क्षेत्रका विस्तार [प्रमाण ] जितना हो उसका (वम्ग) वर्ग याने ४| जितना विष्कंभ हो उनको उतनेसेंहि गुणा करे, वाद उस वर्गके अंकोंको (दह गुण) दशगुणा करनेसे जो अंक आये
उसको "विसमसम पवइवग्गो" इस बृहद् क्षेत्र समासकी गाथाके अन्दर जो (करणी) करणेकी आम्नाय कही है उसके | मुताबिक उन अंकका मूल सोधा जाय तब (वट्टस्स) गोल क्षेत्रकी (परिरओ) परिधि (होइ) होती है और वाद
उस (परिरओ) परिधिके योजनका जो अंक आय उसको (विक्खंभ) विष्कंभ योजनके (पायगुणिओ) पादसे याने लाचौथे हिस्सेके अंकोंसे गुणाकरे तब (तस्सगणियपयं) उसका गणितपद याने क्षेत्रफल होता है ॥७॥
। भावार्थ-जिस क्षेत्रका जितना विष्कम्भ हो. उनको उतोसें गुणाकरणेपर वर्ग बनता है. उस वर्गको दश गुणाकर
SA"बृहद् क्षेत्र समासमें बताये" हुएक्रमसें उस विष्कम क्षेत्रको परिधिनिकाले वाद उस परिधिके अंकोंको विष्कंभके चतुसरदार्थाश अंकोंसें गुणाकरणेपर गणितपद याने क्षेत्रफल बनता है॥७॥
SAKARSA
SCRECACANCकाका-काका