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स्यात् अवक्तव्यं ५ स्यात् नित्य अवक्तव्यं ६ स्यात् अनित्य अवक्तव्यं ७ स्यात् नित्यानित्यं युगपत् अवक्तव्यं एमज एक अनेकना सात भांगा कहेवा तथा गुणपर्यायमां पण कहेवा केमके सिद्ध मध्ये नय नथी तोपण सप्तभंगीतो सिद्धमा छे. ___ हवे सत्ता ओलखाववाने त्रिभंगीयो कहे छे. १ मिथ्यात्व दशा ते बाधकदशा २ समकित गुणठाणाथी मांडीने अयोगी केवली गुणठाणा सुधीसाधक दशा जाणवी ३ सर्वकर्मथी रहित ते सिद्धदशा १ ज्ञाननो जाणपणो ते जीवनो गुण २ तेनो ज्ञाता ते जीव ३ ज्ञेय ते सर्व द्रव्य १ ध्यान ते जीवना स्वरूपनो २ ते ध्याननो ध्याताजीव ३ ध्येय आत्मानो स्वरूप १ कर्ता ते जीव २ कर्मते एक मोक्ष बीजो बन्ध ३ क्रिया ते एक संवर बीजी आश्रव १ कर्म ते चेतनाने कर्म
बंधना परिणाम २ कर्मनुं फल ते चेतनाने जे कर्म उदयनापरिणाम ३ ज्ञान चेतना ते जीवनो स्वगुण ते आत्माना है त्रण भेद छे १ अज्ञानी जीव शरीरादिक परवस्तुने आत्मबुद्धियें करीमाने ते पहेलो बहिरात्मा २ जे देह सहित जीव
छे ते पण निश्चै सत्तागुण सिद्ध समान छे एटले पोताना जीवने सिद्ध समान करी ध्यावे ते बीजो अंतर आत्मा जाणवो |३ कर्मखपावी केवल ज्ञानपाम्या ते अरिहंत तथा सिद्ध सर्व परमात्मा जाणवा ए त्रिभंगीनो विचार कह्यो एटले आठ
पक्षनो विचार कह्यो. न हवे एक द्रव्य मध्ये छ सामान्य गुण छे ते कहे छे पहेलो अस्तित्व ते जे छ द्रव्य आपणा गुण पर्याय प्रदेशे करी अस्ति छे तेमां धर्म अधर्म आकाश अने जीव ए चार द्रव्यमां तीन द्रव्यनो असंख्याता प्रदेश मिल्या खंध थाय छे अवे आकाशनो अनंत प्रदेशनो खंध थाय अने पुद्गलमा खंध थवानी शक्ति छे माटे ए पांच द्रव्य अस्तिकाय छे अने
SAARASAARAHASIA
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