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RECORRUGALASSESAX
काल पणे ध्रुव छे ए स्थूल थकी उत्पाद व्यय ध्रुवपणो कह्यो अने वस्तुगते मूलपणे ज्ञेयने पलटवे ज्ञाननो पण ते भासन पणे परिणमवो थाय ते पूर्व पर्यायना भासननो व्यय अने अभिनव ज्ञेयनां पर्याय भासननो उत्पाद तथा ज्ञान-14 |पणानो ध्रुव ए रीते सर्व गुणना धर्मनी प्रवृत्तिरूप पर्यायनो उत्पाद व्यय श्रीसिद्ध भगवन्तमां पण थइ रह्यो छे एमज धर्मास्तिकायना प्रदेशे जे खेत्रगत असंख्याता पुद्गल तथा जीवने पहेले समय चलण सहायी पणो परिणमतो हतो अने | बीजे समय अनन्त परमाणुं तथा अनन्ता जीव प्रदेशने चलण सहायी थयो तेवारें असंख्याता चलण सहायनो व्यय अने अनंता चलण सहायनो उपजवो अने गुणपणे ध्रुव एम धर्मद्रव्य मध्ये उत्पाद व्यय थयी रह्यो छे तेमज अधर्मा|दिक द्रव्यने विषे पण भाव तथा वली कार्य कारण पणे उत्पाद व्यय तथा अगुरुलघुना चलणनो उत्पाद व्यय पंचास्तिकार्यने विषे कहेवू तथा काल द्रव्य ते उपचार के तेनुं स्वरूप सर्व उपचारथीज कहेवू ए रीते सर्व द्रव्यमां सत् पणो छे जो अगुरु लघुनो भेद न थाय तो पछे प्रदेशनो माहोमांहे भेद कहेवो थाय ते माटे अगुरुलघुनो भेद सर्वमां छे अने जेनो उत्पाद व्यय रूप सत्पणो एक छे ते द्रव्य एक छे तथा जेनो उत्पाद व्यय सत्पणो जूदो ते द्रव्य पण |जूदो छे एटले सत् केहतां सत्वपणो कह्यो। | ६ अगुरुलघुत्व पणो कहे छे जे द्रव्यनो अगुरुलघु पर्याय छे ते छ प्रकारनी हानि वृद्धिकरे तेमा छ प्रकारनी वृद्धि | छे १ अनन्त भागवृद्धि २ असंख्यात भागवृद्धि ३ संख्यात भागवृद्धि ४ संख्यात गुणवृद्धि ५ असंख्यात गुणवृद्धि ६ अनंत गुणवृद्धि हवे छ प्रकारनी हानी कहे छे १ अनंत भागहानि २ असंख्यात भागहानि ३ संख्यात भागहानि ४