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अर्थ
PROGRA
जंबूद्वीप दतेंसठ खंडवा होते है, "इसीतरह" (बीयपासेवि) दुसरी तर्फभी "एक खंडवा एरवत क्षेत्रका दो शिखरी पर्वतकेत संघयणी- चार ऐरण्यवत क्षेत्रके आठ रूपी पर्वतके, शोला रम्यक क्षेत्रके बत्तीस नीलवंत करके तीसरा वर्ष धर पर्वतके, एवं
सहितम् प्रकरणम् ४ यह तेंसठ खंडवा तथा (चउसटिओ) चौसठ खंडवा (विदेहे) महाविदेह क्षेत्रके यह सर्व (तिरासि) तीनो राशीके
द खंडवा (पिंडेइ) मिलानेसें (णउयसम) एकसोने निचे खंडवा होते है इति प्रथम द्वारम् ॥५॥ ॥४२॥
। भावार्थ-बत्तीश खंडवा भाग निषध पर्वत इसके साथ ऊपरकी गाथाके खंडवा भाग मिलानेसें (तेसठ्ठ) खंडवा |भाग होते है । इसीतरह, दुसरी तर्फ १ खंड भाग एरवत २ खंड भाग शिखरी पर्वत ४ क्षेत्र भाग ऐरण्यवत, आठ 8 | खंडवा भाग, रूपी पर्वत १६ खंडवा भाग, रम्यक क्षेत्र ३२ खंडवा भाग नीलवंत और ६४ खंडवा भाग महाविदेह | |इतनासबकी गिणना की जाय तो, एकसो निधे (१९०) खंडवा होते है ॥५॥
जोयण परिमाणाई, समचउरसाइं इत्थ खंडाई । लरकस्सय परिहीए, तप्पाय गुणेय हंतेव ॥६॥18 ___ अर्थ-(इत्थ) यहां जंबुद्वीपके अन्दर (जोयण परिमाणाई) एक योजनके प्रमाणवाले (समचउरसाई) समचतुरस्र (खंडाई) खंडवा कितने होंगे? उसकी रीति कहते हैं।
(लख्खस्स ) एक लाख योजनकी (परिहीए) परिधिका जो अंक आय उसको (तप्पाय) तत्पाद याने क्षेत्रके चौथे | |हिस्सेसे जैसें लाख योजनके जंबुद्वीपका चोथाहिस्सा २५ हजार योजन होता है. उससें (गुणेय ) गुणाकार करणेपर ॥ ४२ ॥ गणितपद(क्षेत्रफल )का प्रमाण (हंतेव) निश्चय होता है ॥ ६॥
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