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खंडवा होते है, (अहवा) या (णउयसय) एकसो और नवे क्षेत्रीको (भरहपमाणेणं) भरतक्षेत्रके प्रमाणसे (गुणं) गुणाकार करें तो (लख्खं ) एक लाख योजनका यह जंबुद्वीप (हवा) होता है ॥ ३ ॥
भावार्थ-एक लाख योजनके जंबुद्वीपको, पांचसो छवीश योजन छ कलासें भांगें तो भरतक्षेत्रवत् एकसो नवे क्षेत्र (भाग) इस जंबुद्वीपमें होते है, इसी एकसो नवेको पांचसो छवीश योजन छकलासे गुणाकार करें तो एक लाखका है क्षेत्रफल होता है ॥ ३॥ अहविगखंडे भरहे, दो हिमवंते अ हेमवइ चउरो। अट्टमहा हिमवंते, सोलसखंडाइं हरिवासे॥४॥
अर्थ-(अहव) अर्थात् (इग खंडे भरहे) एकखंडवा भरतक्षेत्रका (दो हिमवंते) दो खंडवा हिमवंत पर्वतके (अ) पुनः (चउरो) चार खंडवा (हेमवइ) हेमवंत करके युगलियांके क्षेत्रका (अ) आठ खंडवा (महाहिमवंते) महाहिमवंत पर्वतके (सोलसखंडाई) सोलह खंडवा (हरिवासे) हरिवर्ष करके युगलियांके क्षेत्रका ॥ ४॥ | भावार्थ-एक खंडवा भाग भरतक्षेत्र दो खंडवा भाग चुल्लहिमवंत चार खंडवा भाग हेमवंत, आठ खंडवा भाग महाहिमवंत शोले खंडवा भाग हरिवर्ष, एवं इकतीश खंडवा इस गाथासें जाणना ॥ शेष आगे ॥४॥... बत्तीसं पुण निसड्डे, मिलिया तेसट्टि बीय पासेवि। चउसट्टि ओ विदेहे, तिरासि पिंडेइ णउयसयं॥५॥ • अर्थ-(पुण ) फिर (बत्तीसं ) बत्तीस खंडवा प्रमाण (निसड्ढे) निषध पर्वत, यह सर्व (मिलिया) मिलानेसे (तेसट्ठि)
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