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जिंदगी इम्तिहान लेती है
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मानवमात्र के प्रति मेरा जो प्रेम है, उसका बलिदान देकर मैं किसी एक ही व्यक्ति को प्रसन्न करना नहीं चाहूँगा... खैर, मेरा जीवन एकाकी जीने के लिए निर्मित होगा... अलविदा...!'
डॉक्टर ब्रेकेट ने कभी शादी नहीं की । क्रोमवेल जैसी रूपसुन्दरी से तो नहीं, दूसरी भी किसी स्त्री से नहीं की । ७० वर्ष की उम्र तक डॉक्टर जनसेवा करते रहे, अपना प्रेम, अपना स्नेह, अपनी करुणा उन्होंने हज़ारों मनुष्यों को दी....। जब उनकी मृत्यु हुई... सारा गाँव रोया... डॉक्टर की समाधि पर गाँव के लोगों ने स्तूप बनाया । परन्तु उस स्तूप के ऊपर लिखना क्या ? किसी को कुछ भी समझ में नहीं आया... समय व्यतीत होता है । एक दिन उस हबशी औरत का वह लड़का... जो अब जवान हो गया था, डॉक्टर के अस्पताल के पास से गुजरा, उसने वहाँ एक बोर्ड पढ़ा : 'डॉक्टर ब्रेकेट का अस्पताल ऊपर है ।'
उस लड़के ने पलभर कुछ सोचा और उस बोर्ड को वहाँ से उठाया । जाकर डॉक्टर ब्रेकेट की समाधि के पास रख दिया। दूसरे दिन लोगों ने समाधि के पास बोर्ड पढ़ा : 'डॉक्टर ब्रेकेट का अस्पताल ऊपर है ।' लोगों के मुँह से निकल पड़ा : ‘वाकई वंडरफूल! अद्भुत!
जीवन जीने की यह एक दिव्य दृष्टि है। अपने प्रेम को निर्बंधन रखो । बन्धनरहित प्रेम को जीवमात्र के प्रति बहने दो... निरन्तर बहने दो। यही प्रेम है, सच्ची जीवमैत्री है, सच्ची जीव करुणा है । जब प्रेम एक ही व्यक्ति में बन्ध जाता है, दूसरे अनन्त जीवों के प्रति बह नहीं सकता। वह प्रेम वासना बन जाता है। वह प्रेम सापेक्ष बन जाता है । जिस व्यक्ति में बन्ध जाता है उसके प्रेम को हम हमारे साथ बाँधना चाहते हैं : 'तुम मेरे से ही प्रेम करो, दूसरे किसी से नहीं। चूँकि मैं तुम से ही प्रेम करता हूँ।' क्रोमवेल भी तो ब्रेकेट से यही चाहती थी। डॉक्टर को - डॉक्टर के प्रेम को बाँध लेना चाहती थी। जब वह बाँध न सकी, तो डॉक्टर से नफरत करने लगी । परन्तु डॉक्टर के हृदय में क्रोमवेल के प्रति कभी नफरत पैदा नहीं हुई ।
इसी संदर्भ में एक दूसरी बात भी बता देता हूँ : तू यदि किसी एक व्यक्ति के साथ प्रेम-सम्बन्ध से बन्ध जाना चाहता है, मान ले, वह व्यक्ति तेरे साथ प्रेम का बन्धन नहीं निभा सका तो क्या तू बन्धा हुआ रह सकेगा ? नहीं रह सकेगा, तू निराश हो जाएगा। वह निराशा तेरे जीवन को अन्धकार से भर देगी... तू जीवन के आनंद को खो देगा । इसलिए तुझे कहता हूँ कि तेरे प्रेम
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