Book Title: Jindgi Imtihan Leti Hai
Author(s): Bhadraguptasuri
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 218
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जिंदगी इम्तिहान लेती है २०५ भ्रमणाओं में भटक रहा है। मेरी बात पर गंभीरता से सोचना। इतना स्वार्थी नहीं बनना... कि निःस्वार्थ मित्र का विश्वासघाती बने । अब भी रुक जा । प्रत्युपकार की तुमसे कोई अपेक्षा नहीं है... अपकार से निवृत्त हो जायेगा तो भी मुझे संतोष होगा । छोटी सी जिंदगी, क्या शान्ति से, समता से और सहिष्णुता से बसर नहीं हो सकती? परोपकार न हो सके तो, स्वान्तः सुखाय क्या नहीं जी सकते? परपीड़न में आनन्दित होना, महापाप है । तेरी कुशलता चाहता हूँ । परमात्मा के अचिन्त्य अनुग्रह से तुझे सद्बुद्धि मिले... यही मंगल कामना । नया अंजार (कच्छ) ३-६-८० For Private And Personal Use Only - प्रियदर्शन

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