Book Title: Jindgi Imtihan Leti Hai
Author(s): Bhadraguptasuri
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 166
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जिंदगी इम्तिहान लेती है १५३ किसी का बनेगा, निष्काम भाव से किसी का बनेगा तो कोई तेरा बन सकता है। तू सोच ले, आज दिन तक तू किसी का बना है? मात्र मीठी-मीठी बातें करने से किसी का नहीं बना जाता। किसी का बनने के लिये... तुझे अपने सुख का विचार नहीं करना होगा। उसके सुख का विचार करना होगा। उसके सुख के लिये तुझे कुछ दुःख भी सहन करने होंगे। यदि तुझे किसी की जरूरत नहीं है, सम्पूर्णतया परनिरपेक्ष जीवन जीने की तेरी क्षमता है तो तुझे किसी के लिये दुःख सहन करने की आवश्यकता नहीं है। किसी के विषय में सोचने की जरूरत नहीं है। परंतु ऐसा जीवन जीना होगा तो साधु बनना होगा! साधु ही ऐसा जीवन जी सकता है! एकत्व की साधना ही साधु जीवन है। परंतु इसमें भी एक बड़ा भयस्थान है... वह है स्वार्थवृत्ति! एकत्व की साधना स्वार्थसाधना न बन जाय, यह ध्यान रखना! कर सकेगा एकत्व की साधना? प्रबल आत्मश्रद्धा के सहारे प्रसन्नतापूर्ण जीवन जी सकेगा? है, ऐसा आत्मविश्वास? यदि आत्मविश्वास हो तो अकेला मस्त जीवन जीने का भी मजा है! जब तक शरीर स्वस्थ है, जब तक पैसा कमाने की क्षमता है, जब तक दूसरों की अपेक्षा रखे बिना जीने का जोश है तब तक तो मजा है, परंतु जब शरीर रोगग्रस्त बना, जब पैसा कमाने की क्षमता नहीं रही... तब वह मजा भाप बन कर आकाश में उड़ जायेगी! जहाँ तक मैं सोचता हूँ, अकेला जीने की तेरी क्षमता नहीं है। साधुजीवन में भी तू अकेला नहीं जी सकता। कोई न कोई साथी-सहयोगी चाहिए ही! साथी और सहयोगी कैसे मिलता है, तू जानता है? तू कैसे जानता होगा? तू किसी का साथी बना ही नहीं है! तू किसी का जीवन-सहयोगी बना ही नहीं है। यदि आज तू माता-पिता के साथ नहीं जी सकता है, भाई-बहन के साथ नहीं जी सकता है... कल तू पत्नी के साथ भी नहीं जी सकेगा। तू ऐसा चाहता है कि तेरी इच्छा के अनुसार सब चले! तेरी हरकतें सब सहन करे! तू किसी की भी कोई हरकत नहीं सहन करना चाहता। जरा सोच तो सही, दुनिया में कहीं पर भी यह संभव है? परस्पर एक दूसरे को समझे बिना, एक दूसरे को सहन किये बिना, सहजीवन नहीं जिया जाता। तू किसी की इच्छानुसार जीवन जी सकता है क्या? अभी तक वैसा जीवन तूने जिया है क्या? नहीं न? तो फिर तू वैसी इच्छा कैसे कर सकता है कि अपनी इच्छा के अनुसार दूसरा जीवन जिये? असम्भव है भैया! यदि जीवन को व्यर्थ गंवाना For Private And Personal Use Only

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