Book Title: Jindgi Imtihan Leti Hai
Author(s): Bhadraguptasuri
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 213
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जिंदगी इम्तिहान लेती है २०० आजकल युवा पीढ़ी को क्या हो गया है, समझ में नहीं आता! न उनको स्वयं सूझ है, जीवन निर्माण की और न वे किसी जीवनशिल्पी का मार्गदर्शन लेते हैं! न कोई ध्येय, न कोई आदर्श, न कोई व्यवस्थित आयोजन! राजकीय नेता लोग अपने स्वार्थों की सिद्धि में युवकों का उपयोग कर रहे हैं। हिंसा को बढ़ावा दे रहे हैं। अनुशासनहीनता को उत्तेजित कर रहे हैं। कौन बचायेगा युवा पीढ़ी को? बड़ी चिंता का विषय बन गया है। __ पारिवारिक जीवन में युवक-युवतियाँ 'अपसेट' हो रहे हैं। माता-पिता के साथ वे सेट नहीं हो रहे, भाइयों के साथ सेट नहीं हो रहे! मनश्चिंता बहुत बढ़ रही है। अभी थोड़े महीने पहले एक परिचित भाई मेरे पास आये थे... इक्कीस-बाईस साल का लड़का है उनका | बहुत परेशान है लड़के के विषय में। न करता है सर्विस, नहीं देता है पिता को सहयोग! आवारा बनकर भटकता रहता है! खाना-पीना, अच्छे, कपड़े पहनना और आवारा-टाईप लड़के-लड़कियों के साथ भटकना । मनचाहा खर्च करना और कभी-कभी पैसे की चोरी करना...! पिता की एक बात नहीं सुनता है, माता की तो गिनती ही नहीं करता है! ___ पिता कितना परेशान होगा? इज्जत का डर है, इसलिये लड़के को घर से निकाल भी नहीं सकता है... पुत्र-स्नेह की वजह से दुःखी हो रहा है। ऐसे एक पिता नहीं, हजारों... लाखों पिता परेशान हैं! लाखों माताएँ संतप्त हैं। निकट के भविष्य में कोई आशा नहीं दिखती है। युवा पीढ़ी के प्रति उदासीनता धारण करना ही ठीक लगता है। हाँ, जिन युवक-युवतियों में जीवन निर्माण की तमन्ना हो, मार्गदर्शन चाहते हों... उनके प्रति औदासीन्य नहीं होना चाहिए, उनके प्रति स्नेह और सद्भाव होना चाहिए, और समुचित मार्गदर्शन देना चाहिए। श्रद्धा, नम्रता और समर्पण के बिना न तो मार्गदर्शन देना, न उपदेश देना! अन्यथा तेरा स्वयं का अहित होगा! महानुभाव, इस विषय में कभी-कभी बहुत सोचता हूँ... कुछ उपाय भी मिल जाते हैं... परंतु सारे उपाय परसापेक्ष होते हैं! जब तक शिक्षा में आमूलचूल परिवर्तन न हो तब तक परिस्थिति सुधरने वाली नहीं है। बालमंदिर से कॉलेज तक, शिक्षापद्धति में परिवर्तन आवश्यक है। परंतु यह परिवर्तन हो - वैसा देश-काल नहीं दिखता। अर्थ और काम केन्द्रबिंदु बन गये हैं शिक्षा के! ऐसी शिक्षा मात्र भारत में ही है, वैसा नहीं, विश्वव्यापी बन गई है ऐसी शिक्षा। For Private And Personal Use Only

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