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जन्म ग्रहण करता है प्राणी
भूपर
बारम्बार ।
अन्तिम लक्ष्य मोक्ष है, जिससेहोता है उद्धार ॥
विमल मोक्ष के तत्व धरा परकर सकते सब प्राप्त ।
पुण्य - बीज, जो पडता, होताफिर वह नही समाप्त ॥
जनम-जनम वह चाहे भटकेरहता है निर्भीक । कभी नही वह विचलित होतामिलती जिसको लीक |
सत्पथ की यह लीक प्रवल है
मानव का
इससे ही होता है निश्चयभव का शुभ उत्कर्ष ॥
आदर्श |
जय महावीर / 21