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चकित सभी होकर के क्षण मे
लगे सोचने अपने मन मे। यह क्या रीति जगत की भाईइसने कैसी बुद्धि दिखाई।
स्वय इन्द्र ने प्रश्न अनेकों
किये और फिर कहा कि देखो इनका गुम्फित तत्व समझ कर कौन भला दे सकता उत्तर ।
महावीर ने सव उद्घाटन
किया बताकर सव विश्लेपण। सुनकर जन-जन हुए अचम्भितदिव्य ज्ञान से भाव-समन्वित ।
फिर तो ज्ञान प्रभा लहराई
दिव्य छटा धरती ने पाई। लोग हुए पुलकित आनदितप्रभा समुज्ज्वल से मदीपित।
ज्य महावीर | 63