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क्षय करना था कर्म पुरातनअवरोधक मन का अवगंठन । उसी कुमार ग्राम का भोलागो-पालक आकर था बोला।
"मेरे यही पडे है गोचरजरा ध्यान तुम रखना इन पर । जरा देखना भाग न जायेइनको कोई चुरा न पाये।"
बोला और गया फिर घर मेलौटा वापस सॉझ प्रहर मे। बोला-"दिखने नही यहाँ परकहाँ गये सव मेरे गो-चर?"
प्रभु थे ध्यान-मगन क्या बोलकैसे उसकी गाँठे खोले। विना सुने कुछ, गोपालक फिरचला . ढूंढने गोधन आखिर।
102 / जय महावीर