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प्रभु ने कहा कि "देखो कौशिक
क्रोध भयकर शान्त करो । मन मे प्रभु का प्रेम जगाकर
करुणा का मधु स्रोत भरो ॥
क्रोध, शिला की रेखा जैसे
मन से कब मिट पाता है । इसके पास से बँध कर नरघोर नरक मे जाता है ॥
शमन करो यह क्रोध भयकरदया
आत्मा को विकसित करके
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भाव मन मे लाओ ॥
तुमपरम शान्ति अव पा जाओ ।। "
प्रभु के इतना कहने ने ही
पूर्व जन्म नव ज्ञात हुआ ।
क्रोध मिटा, तम धुला अचानक
जागा नया प्रभात हुआ