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परम पूज्य इस वसुन्धरा कोकरने को कल्याण धग का
कठिन साधना मे रत रहतेस्वयं अजाने सब कुछ
कुछ
सहते ।
।
अस्थिक गाँव पधारे चल करसोने से निकलुप पिघल यहाँ एक मंदिर का शूलपाणि
यक्षावृत
-
कर ।
भीपण
कर्पण |
यक्ष क्रूर था, सब डरते थे
मरते थे 1
उसके भय से सब वहाँ किसी मे शक्ति मन मे ऐसी भक्ति नहीं थी ।
नही थी
106 / जय महावीर
प्राण बचाये
जिससे कोई क्रूरं यक्ष को मार भगाये ।
प्रभु थें उस बैठे निश्चल
मंदिर मे जा केध्यान लगा के |