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राज महल में
साधु-सरीखेसौम्य सरल थे रहते। था उनकाबात विनय से कहते॥
सयममय जीवन
उनतीस वर्षों मे ही वे जव
और प्रौढ वन आए। नौ लोकान्तिक देव वहाँ पर
आकर कुछ समझाए।
कहा कि-"जय हो, महावीर ही
अव कल्याण करेगे। भव मे दुख का जो प्रदाह है
निश्चय वही हरेगे॥
धर्म तीर्थ की शीघ्र स्थापना
अव तो शीघ्र कराये। जग का हो कल्याण, यहाँ सुख
शान्ति विमल फैलाये॥
74/ जय महावीर