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सभी देवता और देवियाँ - आये खुशी मनाने |
प्रभु के पावन जन्मोत्सव मे
मंगल साज सजाने ||
देवलोक मे वजी
गूंजा
कल्प वृक्ष ने फूल
वधाई
साज
मनोहर ।
फूल गिरायेखिलकर उनके ऊपर ॥
प्रभु का शुभ अभिषेक हुआ फिर
46 / जय महावीर
स्वर्ण कलश के जल से ।
स्वयं अलकृत हुए मागलिक
अगरु गध-शतदल
से ॥
जन्मोत्सव का देव-पुरी मे
हुआ महोत्सव पूरा | शकर ने भी वहाँ खुशी मे -
छाना
भाँग-धतूरा ॥