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बजे नगाडे-शख अनेको
ढोल-झॉझ औ' तासा। झर-झर झरे खुशी से लोचन
रहा न कोई प्यासा ।।
जन-परिजन औ' पुरवासी सब
आकर जय-जय कहते। महामोद की लोल लहर मे
सब थे निर्भय रहते ।।
सव कुटुम्ब के लोग जुटे औ'
गुणी-पुरोहित आये ।। वर्धमान है नाम शुभकर
सव ही यह बतलाये।
कहा कि ये सम्पन्न गुणो से
परम धीर है आये । चक्रवती-नृप, श्रेष्ठ जनो के
लक्षण है सब पाये।
48 / जय महावीर