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सुनकर इन्द्र बहुत हए
बोले-तुम हो धन्य । तुम्ही देखना इससे जग मे
होगे कार्य अनन्य ।।
आज धरा पर जो सकट है
होगे निश्चय नष्ट । अपनी ज्ञान विभा से भू का
दूर करेगा कष्ट ।।
तुमने पूरा किया आज है
देवो का ही काम । निश्चय ही धरती पर होगा
इसका शुभ परिणाम॥
देवपूज्य यह मनुज धरा को
देगा शुभ वरदान । इसके वचनामृत से होगा
कष्टो का अवसान॥
28 / जय महावीर