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जन्मसमुद्रः
जल में, कुम्भ राशि हो तो घर में और मीन राशि हो तो नदी, बावड़ी, कुग्रा आदि जलाशय में मृत्यु होवे । लग्न के नवमांश का स्वामी सूर्य हो तो देवस्थान में, चन्द्रमा हो तो जलाशय में, मंगल हो तो अग्नि स्थान में, बुध हो तो क्रीड़ाघर में, गुरु हो तो भंडार के स्थान में, शुक्र हो तो शैया के स्थान में और शनि हो तो धूलवाली भूमि में मृत्यु होवे । सारावली ग्रन्थ में कहा है कि-जन्म यदि मेष के प्रथम द्रषकाण में हो तो शूली, विष, सर्प या पित्त विकार से मरे । दूसरे द्रषकाण में हो तो गाड़ी घोड़ा आदि से गिर कर या बिजली के गिरने से जंगल में या पानी में मृत्यु होवे। तीसरे द्रषकारण में हो तो कुमा, सरोवर प्रादि जलाशय में अथवा शस्त्र से मृत्यु होवे । जन्म यदि वृष राशि के प्रथम द्रषकारण में हो तो शस्त्र (अष्टापद ) घोड़ा, गधा अथवा ऊंट से मृत्यु कहना । दूसरे द्रषकारण में हुग्रा हो तो पित्त विकार, अग्नि दावानल या चोर से मारा जाय । तीसरे में होने से वह वाहन या घोड़े आदि से गिर कर या युद्ध में शस्त्र से मरे । मिथुन राशि के प्रथम द्रषकाण में जन्म हुअा हो तो खांसी, श्वास या जल से मरे । दूसरे में जन्मा हुअा गाय, भैंस प्रादि से या बिजली गिरने से मरे । तीसरे में जन्मा हुया हाथी या पर्वत से गिर कर जंगल में मारा जाय । कर्क राशि के प्रथम द्रषकाण में जन्मा हुअा श्वास, मदिरापान, कांटे या स्वप्न से मरे । दूसरे में हो तो वह घाव या विष से मरे । तीसरे में हो तो प्लीहा, प्रमेह आदि रोग से मरे । सिंह राशि के प्रथम द्रषकाण में जन्म हो तो वह जल या विषय रोग से मरे । दूसरे में जल वाले वन प्रदेश में मरे । तीसरे में विष, शस्त्र या गुदा रोग से मरे। कन्या राशि के प्रथम द्रषकाण में जन्म हो तो सिर रोग से, दूसरे में हुया हो तो पर्वत से या सर्प के भय से, तीसरे में जन्मा हुआ गधा, हाथी, शस्त्र या जहाज आदि से मरे । तुला राशि के प्रथम द्रषकारण में जन्मा हुअा स्त्री या पशु द्वारा मारा जाय। दूसरे में जन्मा हुया जलोदर रोग से, तीसरे में जन्मा हुमा सांप या जल से मरे । वृश्चिक के प्रथम द्रषकाण में जन्मा हुआ विष, शस्त्र, स्त्री या रसवाले अन्नपान से मरे । दूसरे में जन्मा हुग्रा कम्मर या बस्ति रोग से मरे । तीसरे में जन्मा हुअा पाषाण या मट्टी के ढेले के घाव से या जांघ की हड्डी के रोग से मरे । धन राशि के प्रथम द्रषकाण में जन्मा हुअा गुदा के घाव से दूसरे में जन्मा हुअा विष से या वायु रोग से, तीसरे में जन्मा हुअा जठर रोग से मरे । मकर के प्रथम द्रषकाण में जन्मा हुअा राजा, सिंह या सुअर आदि से, दूसरे में जन्मा हुआ शस्त्र, चोर, अग्नि या ज्वर से, तीसरे में जन्मा हुया जल विकार से मरे। कुम्भ के प्रथम द्रषकारण में जन्मा हुअा स्त्री से, दूसरे में जन्मा हुया स्त्री से या गुदा रोग से, तीसरे में जन्मा हुअा पशु से या मुख रोग से मरे। मोन के प्रथम द्रषकाण में जन्मा हुया गुल्म संग्रहणी प्रमेह आदि रोग से या स्त्री से, दूसरे में जन्मा हुमा घर गिरने से या जांघ के रोग से, तीसरे में जन्मा हुआ दुष्ट रोग से मरे ॥१८॥
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