Book Title: Janmasamudra Jataka
Author(s): Bhagwandas Jain
Publisher: Vishaporwal Aradhana Bhavan Jain Sangh Bharuch

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Page 66
________________ ५४ जन्मसमुद्रः गुरु केन्द्र में, छटे या आठवें स्थान में अपनी उच्च राशि (कर्क राशि) का होकर रहा हो तो मोक्ष गति होवे । मीन लग्न में रहा हा गुरु शुभ ग्रहों के नवमांश में हो और दूसरे ग्रह निर्बल हों तो मृतक की मोक्ष गति होवे । छटा या आठवां स्थान में जो बलवान हो उसके द्रषकारण के स्वामी का जो लोक है, वह गति कहना । अन्य शास्त्र में कहा है किसातवें या आठवें स्थान में जो ग्रह हो, उस ग्रह के लोक तुल्य लोक में मृतक की गति कहना । द्रषकाण के स्वामी के लोक का ज्ञान प्रथम कल्लोल के अन्तिम श्लोक में कहा है, वहां से देख लिया जाय ॥२०॥ इति श्री नरचंद्रोपाध्याय विरचित जन्मसमुद्र के निर्वारणलक्षण नाम का चतुर्थ कल्लोल समाप्त। "Aho Shrutgyanam"

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