Book Title: Janmasamudra Jataka
Author(s): Bhagwandas Jain
Publisher: Vishaporwal Aradhana Bhavan Jain Sangh Bharuch

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Page 79
________________ पंचम कल्लोलः ६७ वृष राशि का चन्द्रमा लग्न में रहा हो, गुरु सप्तम स्थान में, शनि दशवें स्थान में और सूर्य चौथे स्थान में रहा हो तो जातक राजा होता है ।१एवं मकर राशि का शनि लग्न में रहा हो, चन्द्रमा तीसरे, मंगल छठे, बुध नवें और गुरु बारहवें स्थान में हो तो राजयोग होता है ॥१४॥ अथ योगद्वयमाह सेन्दौ जीवेऽस्त्रगे भौमे मृगे वोच्चेऽङ्गगे सिते। बुधे वा धीस्थभौमार्योस्तुर्यस्थेज्येन्दुभार्गवैः॥१५॥ जोवे सेन्दौ सचन्द्र ऽस्त्रगे धनुस्थे, भौमे मृगे मकरस्थे च सति, सिते शुक्रेऽङ्गगे लग्नस्थे सति, उच्चे मीनस्थे च सति राजा स्यात् । मीन लग्ने एको योगः । अथवाङ्गगे लग्नस्थे बुधे उच्चे कन्याराशिचतुर्दशांशस्थे सति, धीस्थभोमार्योः, धीः पञ्चमं तत्र गतौ यौ भौमार्की तयोः, भौमशन्योः सतोस्तुर्यस्थेज्येन्दुभार्गवैः तुर्य चतुर्थं तत्र तिष्ठन्तिस्म इज्येन्दुभार्गवाः गुरुचन्द्रशुक्रास्तैः कृत्वा राजा स्यात् । कन्यालग्ने द्वितीयो योगः ।।१५।। गुरु और चन्द्रमा दोनों धन राशि में हों, मंगल मकर राशि में और मीन राशि का शुक्र लग्न में हो तो राजयोग होता है।१एवं कन्या राशि का बुध लग्न में हो, मंगल और शनि ये दोनों पांचवें स्थान में, गुरु, चन्द्रमा और शुक्र ये तीनों चौथे स्थान में हो तो राजयोग होता है ॥१५॥ अथ योगत्रयमाह सेन्दौ झषाङ्ग कुम्भसिंहस्थाकिकुजांशुभिः । सारेऽजाङ्ग गुरौ कर्के वा कर्काङ्ग गुरौ तथा ॥१६॥ झषाङ्ग मीनलग्ने सेन्दौ सचन्द्र, कुम्भैणसिंहस्थाः कुम्भमकरसिंहराशिस्थाः क्रमेण ये पाकिकुजांशवः शनिकुजसूर्यास्तैस्तत्रस्थैः कृत्वा राजा। एको योगः । अथाजाङ्ग मेषलग्ने सारे सकुजे गुरौ कर्कस्थे च सति राजा। वाथवा कर्काङ्ग कर्कलग्नस्थे सति गुरौ, तथेति कोऽर्थः ? मेषकुजयुते च राजा । इति तृतीयो योगः ।।१६।। मीन राशि का चन्द्रमा लग्न में हो, कुम्भ राशि का शनि, मकर राशि का मंगल और सिंह राशि का सूर्य हो तो राजयोग होता है ।। अथवा मेष राशि का मंगल लग्न में हो और गुरु कर्क राशि का हो तो राजा होवे ।२। अथवा कर्क राशि का गुरु लग्न में रहा हो और मेष राशि में मंगल हो तो राजयोग होता है ॥१६॥ "Aho Shrutgyanam"

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