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पंचम कल्लोलः
शस्त्राग्नियोनिपोषणमुक्ताशङ्खोपजीविनो जाता । आहिण्डिकवृत्या वा कर्कस्य गरणे दशमस्थे ॥५॥
दशम स्थान में कर्क राशि हो तो शस्त्र, अग्नि, योनि पोषण, मोती और शंख या शिकार द्वारा धन उपार्जन करें ॥ ५॥
संवाहकामिनीनां
पावारण सुवर्णरूप्यकुम्भैश्च 1 करण निरताः सिंहे गोजीवा धान्यवाणिजकाः ॥६॥
दशम स्थान में सिंह राशि हो तो स्त्रियों के संवाह से, पाषाण, सोना, चांदी, कलश खेती, गौ या धान्य विक्रय आदि से धन उपार्जन करें || ॥
शाकारिकास्तक्षणिका हैरण्यकगन्धविक्रये दक्षाः । गान्धवं शिल्पलेख्यैः कन्या वर्गे सदा विशुचा ॥७॥
दशवें स्थान में कन्या राशि हो तो कास्तकारी से सोने और सुगन्धित वस्तुत्रों को बेचने से गान्धवं शिल्प और लेखन कलाओं से धन प्राप्त करें ॥७॥
धनधान्यमूलवणिजः
फलमूलकृषीवला एव । जायन्ते घटवर्गे कलास्वभिज्ञा दशमगर्तः ||८||
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दसवें स्थान में तुला राशि हो तो धन-धान्य, मूल आदि के व्यापार से फल-मूलादि की खेती कर के धन प्राप्त करें। यह कलाओं को भी जानने वाला है ||८||
स्त्री सम्पर्कज विभवाः कर्षणनिरतोद्यतास्तथा चौराः । भृत्या वैद्या लुब्धा वृश्चिकवर्गे दशमसंस्थे ॥ ॥
दसवें भवन में वृश्चिक राशि हो तो स्त्री के सम्बन्ध से विभव वाला, खेती करने वाला, चौर सेवक वैद्य और लोभी होता है ॥६॥
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नृपमंत्री दुर्गपालन गौरासभवानिकाष्ठशकुनैश्च यंत्रोपस्कर गणितंर्जीवन्ति चिकित्सया धनुषः ॥ १०॥
दसवें स्थान में धन राशि हो तो राजा, मंत्री या कोतवाल या गौ, भैंस से, लकड़ी से निमित्तों से, यंत्रों से या गणित वैद्यक विद्या से आजीविका करें ॥ १०॥
दशमे च मकरवर्गे जलपण्यधनं भवेन्महाविभवी ।
केदारद्र, मरो पण रसायनैर्जीव्यते जातः ॥११॥
दसवें स्थान में मकर राशि हो तो पानी या क्रयारणक के व्यापार से अच्छा वैभवशाली होवे, वृक्षों के रोपने से या रसायनों से धन प्राप्त करें ॥११॥
"Aho Shrutgyanam"