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( ३५ ) वध प्रतिजीवि गुण में शुद्धता प्रगटी। (४) आयुकर्म के अभाव से अवगाह प्रतिजीवी गुण में शुद्धता प्रगटी। (५) नामकर्म के अभाव से · सूक्ष्मत्व प्रतिजीवी गुण में शुद्धता प्रगटीं । इन छह वाक्यो में अनेकान्त - को कब समझा और कब नहीं समझा ?
उत्तर-६२वे प्रश्नोत्तर के अनुसार छहो प्रश्नो के उत्तर दो।
प्रश्न ६४-जो कोई भी पर्याय होती है भूतकाल-भविष्यत् काल की पर्यायो के सम्बन्ध से ही होती हैं इस वाक्य में अनेकान्त को कब समझा और कब नहीं समझा ?
उत्तर-(१) जाति अपेक्षा छह द्रव्यो मे तथा प्रत्येक द्रव्य के गुणो मे जो भी पर्याय होती है वह उस समय पर्याय की योग्यता से ही होती है और भूतकाल-भविष्यत् काल की पर्यायो के सबध से नहीं होती है तो अनेकान्त को समझा है। (२) जाति अपेक्षा छह द्रव्यो मे तथा प्रत्येक द्रव्य मे गुणो मे जो भी पर्याय होती है, वह उस समय पर्याय की योग्यता से होती है और भूतकाल-भविष्यत् काल की पर्यायो से भी होती है तो अनेकान्त को नही समझा है।
प्रश्न ६५-व्रतादि मोक्षमार्ग है, इसमें सच्चा अनेकान्त और मिथ्या अनेकान्त कैसे है ?
उत्तर--शुद्ध भाव मोक्षमार्ग है और व्रतादि मोक्षमार्ग नही है यह सच्चा अनेकान्त है । शुद्ध भाव भी मोक्षमार्ग है और शुभभाव भी मोक्षमार्ग है, यह मिथ्या अनेकान्त है ।
प्रश्न ६६-(१) शास्त्र से ज्ञान होता है। (१) दर्शनमोहनीय के उपशम से औपशमिक सम्यक्त्व होता है। (३) शुभभावो से धर्म होता है। (४) कुम्हार ने घड़ा बनाया। (५) धर्म द्रव्य ने मुझे चलाया। (६) कर्म मुझे चक्कर कटाते हैं। (७) शरीर ठीक रहे, तो आत्मा को सुख मिलता है। (८) सम्यग्दर्शन के कारण ज्ञान-चारित्र मे शुद्धि होती है। (8) केवलज्ञानावरणीय कर्म के अभाव से केवलज्ञान होता है। (१०) केवलज्ञान होने से केवलज्ञानावरणीय कर्म का अभाव