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प्रश्न २१० - जीवत्वशक्ति क्या करती है ?
उत्तर - आत्मा को कभी भी अजीवरूप नही होने देती सदैव जीव रूप रखती है ।
प्रश्न २११ - जीवत्वशक्ति में पांच भाव लगाओ ?
उत्तर - आत्मा की जीवत्व शक्ति = पारिणामिक भाव | रागादि उदय भावो का अभाव - औदयिकभाव नास्तिरूप आया । जीवत्व शक्ति का शुद्धरूप परिणमन = क्षयोपशम और क्षायिकभाव आ गये, परन्तु औपशमिक भाव नही आता है ।
प्रश्न २१२ - जीवत्वशक्ति मे सात तत्त्व लगाओ ?
उत्तर- त्रिकाल चैतन्य प्राण से सम्पन्न ज्ञायक भाव = जीवतत्व | शुद्ध पर्याय प्रगटी = सवर - निजरा और मोक्षतत्त्व । अशुद्ध परिणमन दूर हुआ - आस्रव - बधतत्त्व । जड प्राणो से भिन्न जाना - अजीव तत्त्व | इस प्रकार जैसे- जीवत्वशक्ति मे साततत्त्व आये । उसी प्रकार प्रत्येक शक्ति मे लगाना चाहिए ।
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प्रश्न २१३ - जीवत्वशक्ति मे किसका समावेश होता है और किसका समावेश नहीं होता है ?
उत्तर - जीवत्वशक्ति मे अक्रमरूप अनन्त शक्तियाँ और उन शक्तियो को क्रम-क्रम से होने वाला शुद्ध परिणमन, इस प्रकार क्रमअक्रमरूप अनन्त धर्म पर्याय सहित का जीवत्व शक्ति मे समावेश होता है। नौ प्रकार के पक्षो का समावेश जीवत्वशक्ति मे नही होता है । जीवत्व शक्ति की तरह बाकी सब शक्तियो मे इसी प्रकार जानना और लगाना चाहिए ।
प्रश्न २९४ - शक्तियो को यथार्थ पहिचान कब होती है ?
उत्तर -- अपनी ज्ञान पर्याय को अपनी आत्मा मे अन्तर्मुख करने पर ही शक्तियो की यथार्थ पहिचान होती है, क्योकि अपने आपका अनुभव होने पर अनन्त शक्तियां आत्मा मे एक साथ उछलती हैं ।
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