________________ ( 181 ) उत्तर-जो द्रव्य का भेद रूप ज्ञान करावे जैसे द्रव्य है, गुण है, पर्याय है, उत्पाद है, व्यय है, ध्रौव्य है, सब भिन्न-भिन्न हैं। जो द्रव्य है वह गुण नही है, जो गुण है वह द्रव्य नही है जो द्रव्य गुण है वह पर्याय नही है, जो उत्ताद है वह व्यय ध्रौव्य नही है इत्यादि / (84, 88, 247, 747 दूसरी पक्ति, 746) प्रश्न ६६-शुद्ध द्रव्याथिक नय का विषय क्या है ? उत्तर-जो द्रव्य का अभेद रूप ज्ञान करावे जैसे भेद रूप से न द्रव्य है, न गुण है, न पर्याय है, न उत्पाद है, न व्यय है, न ध्रौव्य है एक अखण्ड सत् अनिर्वचनीय है अथवा जो द्रव्य है वही गुण है, वही पर्याय है, वही उत्पाद है, वही व्यय है, वही ध्रौव्य है अर्थात् एक अखण्ड सत् है। (8,84, 88, 216, 247, 447 प्रथम क्ति, 750 प्रथम पक्ति) प्रश्न ७०-प्रमाण का विषय क्या है ? उत्तर-जो द्रव्य का सामान्यविशेषात्मक जोड रूप ज्ञान करावे जैसे जो भेद रूप है वही अभेद रूप है। जो गुण पर्याय वाला है वही गुण पर्याय वाला नही भी है। जो उत्पाद व्यय ध्रौव्य युक्त है वही उत्पाद व्यय ध्रौव्य युक्त नही भी है। जो द्रव्य, गुण पर्याय वाला है वही द्रव्य, उत्पाद व्यय ध्रौव्य युक्त है तथा वही द्रव्य, अनिर्वचनीय है। यह एक साथ दोनो कोटि का ज्ञान करा देता है। और दोनो विरोधी धर्मों को द्रव्य मे सापेक्षपने से, मैत्रीभाव से, अविरोध रूप से सिद्ध करता है। (261 प्रथम पक्ति, 748 तथा 750 की दूसरी पक्ति) प्रश्न ७१-द्रव्य दृष्टि और पर्याय दृष्टि का दूसरा अर्थ क्या है ? उत्तर-वस्तु जैसे स्वभाव के स्वत सिद्ध है वैसे ही वह स्वभाव से परिणमन शील भी है। उस स्वभाव को द्रव्य, वस्तु, पदार्थ, अन्वय सामान्य आदि कहते हैं। परिणमन स्वभाव के कारण उसमे पर्याय अवस्था परिणाम की उत्पत्ति होती है। जो दृष्टि परिणाम को गौण