________________
( ११७ ) उत्तर-ज्ञायकभाव, पारिणामिकभाव, परम पारिणामिक भाव, परम पूज्य पचमभाव, कारण शुद्ध पर्याय आदि अनेक नाम है।
प्रश्न ५०-पारिणामिक भाव क्या बताता है ?
उत्तर-~जीव का अनादिअनन्त शुद्ध चैतन्य स्वभाव है अर्थात भगवान बनने की शक्ति है यह पारिणामिकभाव सिद्ध करता है।
प्रश्न ५१-औदायिक भाव क्या बताता है ? ।
उत्तर-(१) जीव मे भगवान बनने की शक्ति होने पर भी उसको अवस्था मे विकार है ऐसा औदयिकमाव सिद्ध करता है। (२) जडकर्म के साथ जीव का अनादिकाल से एक-एक समय का सम्बन्ध है जीव उसके वश होता है इसलिए विकार होता है। किन्तु कर्म के कारण विकारभाव नही होता ऐसा भी औदयिकभाव सिद्ध करता है।
प्रश्न ५२-क्षायोपशमिक भाव क्या बताता है ?
उत्तर-(१) जीव अनादि से विकार करता आ रहा है तथापि वह जड नही हो जाता और उसके ज्ञान, दर्शन तथा वीर्य का अशत विकास तो सदैव रहता है ऐसा क्षायोपशमिक भाव सिद्ध करता है। (२) सच्ची समझ के पश्चात जीव ज्यो-ज्यो सत्य पुरुषार्थ वढाता है त्यो त्यो मोह अशत दूर होता जाता है ऐसा भी क्षायोपशमिक भाव सिद्ध करता है।
प्रश्न ५३---औपशमिक भाव क्या बताता है ?
उत्तर-(१) आत्मा का स्वरूप यथार्थतया समझकर जब जीव अपने पारिणामिक भाव का आश्रय करता है तव औदयिक भाव दूर होना प्रारम्भ होता है और प्रथम श्रद्धा गुण का औदयिक भाव दूर होता है ऐसा औपशमिक भाव सिद्ध करता है। (२) यदि जीव प्रति हतभाव से पुरुषार्थ मे आगे बढेतो चारित्र मोह स्वय दब जाता है और
औपशमिक चारित्र प्रगट होता है। ऐसा भी औपशमिक भाव सिद्ध करता है।
प्रश्न ५४-क्षायिक भाव क्या सिख करता है ?