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( ५० ) प्रश्न १३६-द्रव्य गुण पर्याय की अपेक्षा अनेक भी है और एक भी है, क्या यह अनेकान्त है ?
उत्तर-यह मिथ्या अनेकान्त है।
प्रश्न १४०-एक-अनेक मे तीनो प्रकार के भेद विज्ञान समभाइये?
उत्तर-७७, ७८, ७६ प्रश्नोत्तर के अनुसार उत्तर दो। प्रश्न १४१-एक-अनेक को जानने से क्या लाभ है ?
उत्तर-गुण और पर्यायो मे जो अनेकपना है उसे गौण करके एक अंभेद का आश्रय ले, तो तुरन्त सम्यग्दर्शनादि की प्राप्ति होती है और क्रम से निर्वाण की ओर गमन होता है।
प्रश्न १४२-अनेकपने मे क्या-क्या आता है, जिसकी ओर दृष्टि करने ले चारो गतियो मे घूमकर निगोद जाना पड़ता है ?
उत्तर-अत्यन्त भिन्न पर पदार्थ अनेक है। (१) आँख, नाक, कान, औदारिकारीर अनेक है। (३) तैजस, कार्माण शरीर अनेक हैं। (४) भाषा और मन अनेक है। (५) शुभाशुभ भाव अनेक हैं। (६) अपूर्ण-पूर्ण शुद्ध पर्याय का पक्ष अनेक हैं। (७) भेद नय का पक्ष अनेक है। (८) अभेद नय का पक्ष अनेक है। (६) भेदाभेद नय का पक्ष अनेक है। (१०) गुणभेद अनेक है। इसलिए अनेक की ओर दृष्टि करने से मेरा भला है या बुरा है, ऐसी मान्यता चारो गतियो मे घुमाकर निगोद मे ले जाती है। और इन सबसे दृष्टि उठाकर एक अभेद भगवान ज्ञायक पर दृष्टि देने से धर्म की प्राप्ति होकर क्रम से सिद्ध बन जाता है।
प्रश्न १४३–स्याद्वाद किसे कहते हैं ?
उत्तर-वस्तु के अनेकान्त स्वरूप को समझाने वाली सापेक्ष कथन पद्धति को स्याबाद कहते हैं।
प्रश्न १४४-स्याद्वाद का अर्थ क्या है ?