Book Title: Jain Sahitya ka Itihas Purv Pithika
Author(s): Kailashchandra Shastri
Publisher: Ganeshprasad Varni Digambar Jain Sansthan

View full book text
Previous | Next

Page 7
________________ ( ६ ) ५००) श्रीमान् वाबू छोटेलाल जी कलकत्ता ५०१) श्री दि० जैन समाज जसवन्तनगर ४००) श्री दि० जैन समाज जबलपुर १५०) श्री हिंसा प्रतिष्ठान, श्रीमान् लाला सीताराम फीरोजीलाल जी दिल्ली (१५१) ट्रष्टियान, स० सि० टोडरमल कन्हैया लाल जी दि० जैन. पा० ट्रष्ट कटनी १००) श्रीमान् कन्हैयालाल नेमिचन्द जी पलवल ५१) श्रीमान् नेमिचंद सुभाषचंद जी साईकिल मार्ट पुरानी चरहाई जबलपुर ५०) श्रीमान् मूलचन्द भागचंद जी इटोरया दमोह ६०५७) कुल योग १०५२७-६८ पारिश्रमिक ८३ - २६ स्टेशनरी, पोष्टेज, रिक्सा व फुटकर ३०८-६७ सफर खर्च व्यय २२८१-१६ छपाई - कागज १०००-० लगभग ( जो पारिश्रमिक, छपाई और पुस्तक बाइडिंग आदि के बिल के भुगतान में भी करना शेष है। ) १४२०१-४३ कुल योग नोट - इस ग्रन्थपर जो पारिश्रमिक व्यय है वह पूरे ग्रन्थका है, जिसका प्रथम भाग यह ( पीठिका) है और दूसरा भाग प्रकाशनार्थ तैयार रखा है । लेखन-व्ययमें वह सब व्यय भी सम्मिलित है, जो अन्य सहायकों पर हुआ है। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 ... 778