Book Title: Jain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 4
Author(s): Mohanlal Mehta, Hiralal R Kapadia
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi
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अन्य कर्मसाहित्य
बृहद्वृत्ति
37
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दीपक
३. प्राचीन षट् कर्मग्रंथ *
(१) कर्मविपाक
29
,, व्याख्या★
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(२) कर्मस्तव
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भाष्य★
" भाष्य*
वृत्ति*
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वृत्ति*
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टिप्पन
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(३) बन्धस्वामित्व
वृत्ति* (४) षडशीति
در
टिप्पन
" भाष्य
भाष्य*
वृत्ति *
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मलयगिरि
वामदेव
गर्गेष
परमानन्दसूरि
उभयप्रभसूरि
0000
गोविन्दार्य
गा० ५४७, ५५१
अथवा ५६७
गा० १६८
उदयप्रभसूरि
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....
१८८५०
२५००
हरिभद्रसूरि
९२२
१०००
४२०
गा० ५४
५६०
हरिभद्रसूरि जिनवल्लभगणि गा० ८६
गा० ५७
गा० २४
गा० ३२
१०९०
२९२
गा० २३
गा० ३८
८५०
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१११
विक्रम की १२
१३ वीं शती
सम्भवतः विक्रम की
१२ वीं शती
सम्भवतः विक्रम की १० वीं शती
विक्रम की १२१३ वीं शती
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( संभवतः )
सम्भवतः विक्रम की १३ वीं शती
18-0
....
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सम्भवतः वि० सं०
१२८८ से पूर्व
सम्भवतः विक्रम को १३ वीं शती
वि० सं० १९७२
विक्रम की
१२ वीं शती
विक्रम की १२ वीं शती
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