Book Title: Jain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 4
Author(s): Mohanlal Mehta, Hiralal R Kapadia
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 347
________________ जैन साहित्य का बृहद् इतिहास शब्द पृष्ठ पृष्ठ १४५ उत्कर्षणा २४ उदीरणाकरण ११५, १२० उत्कृष्टस्थिति २९ उदीरणास्थान १२८ उत्क्षेपण उद्योत २० उत्तर ७३ उद्योतनसूरि २९२ उत्तरकुरु १६८ उद्वर्तना २२, २४, ११६, ११९ उत्तरज्झयण उद्वर्तनाकरण ११५, ११९ उत्तर-प्रकृति १६, १७, २३ उन्मान १७८ उत्तरप्रतिपत्ति उपघात २० उत्तराध्ययन ६४,६५, १४५, २८७ उपदेशकंदली १९८ उत्पत्ति १२ उपदेशकुलक २२५ उत्सपिणी ३८, १७६ उपदेशचितामणि १९९ उसिक्त ९६ उपदेशतरंगिणी २०२ उदय उपदेशपद १९५ उदय १५, २२, २३, २५, ९०, उपदेशप्रकरण १९५ १२०, १२५, १२८, १३० उपदेशमाला १९३, १९६, २११, उदयचन्द्र १७४ २३० उदयधर्म १९४ उपदेशरत्नाकर २००, २६० उदयधर्मगणी २१५ उपदेशरसायन १९७ उदयनृप २०५ उपदेशसप्ततिका २०१ उदयप्रभ १७९, १९४ उपदेशरहस्य १२१ उदयप्रभसूरि १११, ११२, १२७, उपधि १७६ १२८ उपभोग उदयसागर १७० उपभोगांतराय उदयसिंह २०५, २१७, २८८ उपभोग्य २१ उदयसेन २०६ उपमितिभवप्रपंचाकथा उदयाकरगणी ३०१ उपयोग ९०, ९१, ९५, १०२, १२५, उदयावस्था १२० १३१, १३७, १४९, १५४, उदायन २९० १७७ उदीरणा २२, २३, ९०, ११६, १२०, उपयोगिता १३० उपशम १२० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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