Book Title: Jain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 4
Author(s): Mohanlal Mehta, Hiralal R Kapadia
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 387
________________ काब्द २९ २०८ २६२ २६६ ७४ ३७२ जैन साहित्य का बृहद् इतिहास शब्द पृष्ठ वीरगणी २७३, २९६ वेदननिक्षेप वीरचन्द्रसूरि १८४ वेदनपरिणामविधान वीरजिन-हमचडी ३०६ वेदनप्रत्ययविधान वीरनंदि १३९, १४१ वेदनभागाभागविधान वीरनंदी १५५ वेदनभावविधान वीर-निर्वाण वेदनवेदनविधान वीरप्रभ वेदनसन्निकर्ष वीरभद्र २८५ वेदनस्वामित्वविधान वीरविजय वेदना २९, ३०, ५१, ७५ वीरशेखरविजय वीरसेन ६१,७९, ८७, १०३, १०९ वेदनासमुद्धात वीरसेनगुरु वेदनीय १५, १६, १७, २१, २२, ४५ वीरसेनदेव २५९ वेदमार्गणा वीरसेनाचार्य वेदानुभवन वीरहंडीस्तवन ३०६ १२,१४ वेदांत १७. वीर्य ९,१६, २१, ११६ वेद्य वीर्यांतराय २०, २१ वेन्नातट वोसिया १८९ वैक्रिय वैक्रियिककाययोग वेद ३०, ३५, ४१ वैक्रियिकमिश्रकाययोग ३३ वेद वैजयंत ९०, ९५, १०२ वैदिक वेदकसम्यकदृष्टि ३७ वैनयिक ६४, ६५, १६२ वेदनअन्तरविधान वैभारगिरि वेदनअल्पबहुत्व वैयावृत्य वेदनकालविधान वैराग्यकल्पलता २५८, २६२ वेदनक्षेत्रविधान ५३ वैराग्यधनद वेदनगतिविधान ५४ वैराग्यशतक २२३, २२४ वेदनद्रव्यविधान वेदननयविभाषणता ५३ वैशेषिक १३, १४, १६४ वेदननामविधान व्यंजन ९०, ९१, ९५ २८ २६. वृद्धि ३३ वेदक ३२३ १६२ २२३ ५३ वैशिष्ट्य Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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