Book Title: Jain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 4
Author(s): Mohanlal Mehta, Hiralal R Kapadia
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi
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आगमसार और द्रव्यानुयोग
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इस भावपाहुड में चारित्तपाहुड और बोधपाहुड की तरह व्यवस्थित निरूपण नहीं है । ऐसा ज्ञात होता है कि इसमें संग्रह को विशेष स्थान दिया गया है । लिंग का निरूपण लिंगपाहुड में भी देखा जाता है । भावपाहुड में दूसरे सभी पाहुडों की अपेक्षा जैन पारिभाषिक शब्दों तथा दृष्टान्तों का आधिक्य है । गुणभद्रकृत आत्मानुशासन में तथा भावपाहुड में बहुत साम्य है ।
टीका- इस पर श्रुतसागर की टीका है ।
१०६ पद्य हैं । अन्तिम पद्य में परमात्मा का स्वरूप वर्णित है और
६. मोक्uपाहुड ( मोक्षप्राभृत ) - इसमें इस कृति का नाम दिया गया है । इसमें उस स्वरूप का ज्ञान होने पर मुक्ति मिलती है ऐसा कहा है । आत्मा के पर, आभ्यन्तर और बाह्य ऐसे तीन स्वरूपों का निर्देश करके इन्द्रियरूपी बहिरात्मा का परित्याग कर कर्मरहित परमात्मा का ध्यान धरने का उपदेश दिया गया है । - स्वद्रव्य एवं परद्रव्य की स्पष्टता न करने से हानि होती है ऐसा इसमें प्रतिपादन किया गया है ।
खान में से निकलने वाले सुवर्ण में और शुद्ध किये गये सुवर्ण में जैसा अन्तर है वैसा अन्तर अन्तरात्मा और परमात्मा में है । जो योगी व्यवहार में सोया हुआ है अर्थात् व्यवहार में नहीं पड़ा है वह अपने कार्य के विषय में जाग्रत है और जो व्यवहार में जाग्रत है अर्थात् लोकोपचार में सावधान है वह योगी आत्मा के कार्य में सोया हुआ है । अतः सच्चा योगी सब प्रकार के व्यवहारों से सर्वथा मुक्त होकर परमात्मा का ध्यान करता है । पुण्य और पाप का परिहार ' चारित्र' है । सम्यक्त्वादि रत्नत्रय प्राप्त किये बिना उत्तम ध्यान अशक्य है । धमंध्यान आज भी शक्य है । उग्र तप करनेवाले अज्ञानी को जिस कर्म का क्षय करने में अनेक भव लगते हैं उस कर्म का क्षय तीन गुप्ति से युक्त ज्ञानी अन्तर्मुहूर्त में करता है । जो अचेतन पदार्थ को सचेतन मानता है वह अज्ञानी है, जबकि चेतन द्रव्य में जो आत्मा को मानता है वह ज्ञानी है । बिना तप का ज्ञान और बिना ज्ञान का तप भी निरर्थक है, अतः ज्ञान और तप दोनों से युक्त होने पर ही मुक्ति मिलती है ।
१. कुछ पद्य अनुष्टुप् में हैं । अधिकांश भाग आर्या छन्द में है ।
२. २४ वें पद्य की टीका ( पृ० ३२० ) में श्रुतसागर ने शीशे से सोना बनाने की विधि की सूचक एक प्राचीन गाथा उद्धृत करके उसका
विवेचन किया है ।
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