Book Title: Jain Jagaran ke Agradut
Author(s): Ayodhyaprasad Goyaliya
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 10
________________ प्रकाशकीय १. इस प्रथम भागमे पहली पीढीके उन दि० जैन कुलोत्पन्न २६ दिवगत और ८ वर्तमान वयोवृद्ध महानुभावोके सस्मरण एवं परिचय दिये गये है, जो वीसवी शताब्दीके लगभग प्रारम्भसे लोकोपयोगी कार्यों अथवा जैनसमाजके जागरणमें किसी-न-किसी रूपमे सहयोग देते रहे है। २ दूसरी पीढीके उन प्रमुख, व्यक्तियोका परिचय जो १९२० के आस-पास कार्य-क्षेत्रमें आये, द्वितीय भागमे दिया जायगा। पहली पीढ़ीके साथ द्वितीय पीढीको विठाना उपयुक्त नही समझा गया । ३ यूं तो न जाने कितने त्यागी, विद्वान्, सुधारक, लोकसेवक, साहित्यिक, दानवीर और मूक साधक जनसमाजमें हुए और है, किन्तु उन सभीका परिचय पाना, लिखना, लिखाना किसी भी एक व्यक्ति द्वारा सम्भव नही। यह महान कार्य तो समूचे समाजके सहयोगसे ही सम्भव हो सकता है। ज्ञानपीठ तो एक प्रथाका उद्घाटन कर रहा है। अब यह समाजके लेखकोका कर्तव्य है कि वे जिनके बारेमें जानकारी रखते है, उनके सम्बन्धमे लिखें और इस प्रथाको अधिकाधिक विकसित करें। सुरुचिपूर्ण सस्मरणोका 'ज्ञानोदय' सदैव स्वागत करेगा। ४ हम कव तक इतिहासके अभावका रोना रोते रहेगे? हमारे पूर्वजोका इतिहास जैसा चाहिए वैसा उपलब्ध नहीं है, तो न सही। हमे नये इतिहासका निर्माण तो अविलम्ब प्रारम्भ कर ही देना चाहिए । जो हमारी समाजकी विभूतियाँ हमारे देखते-देखते ओझल हो गई, या आज भी जिनका दम गनीमत है, उनका परिचय तो शीघ-से-शीघ्र लिख ही डालना होगा। अन्यथा जो उलाहना आज हम अपने पूर्ववर्ती

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