Book Title: Jain Dharm me Tap Swarup aur Vishleshan
Author(s): Mishrimalmuni, Shreechand Surana
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
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है, और साथ ही मन्तहृदय एव गरन प्रकृति के मजन है । गुरदेव श्री गो प्रति उनकी अनन्यक्ति है। यही कारण है कि उन्होंने वरी निप्ता और लगन के साथ प्रस्तुत पुस्तक या सपादन कर जनधर्म के तप सम्बन्धी नितन प्रवाह फौ वटी स्पष्टता व सरता ये गाय मूर्त रूप दिया है।
गुरुदेवधी या स्वास्थ्य घर में कुछ अस्यस्य गा रहा और फिर अनेक प्रवृत्तियों में अत्यंत प्यम भी रहे । इसी गाण सपादित मामी को पूरी गहगई गो गाध नहीं देग पाये । उन्हे विश्वास है हिमपादक बधु जगपर्ग के मगंज हैं, अत कोई विचार य तध्य उगले पनिपून होने का प्रश्न हो नही । फिर भी यदि प्रमादयश सैदान्तिक दृष्टि से, अपया प्रस्तुत गरने का शैली व भाषा की दृष्टि से कोई रिचार घटि पूर्ण रह गया होनी यह नपादक को न मान र महृदयना पूचा मूचित करणे TT नट करे।
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श्री मगधर फेम साहित्य प्रशासन, समिति
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