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उष्ण - नामकर्म - जिस कर्म के उदय से शरीरगत पुद्गल स्कन्धो मे उष्णता होती है उसे उष्ण - नामकर्म कहते है ।
उष्ण- परीषह - जय - ग्रीष्मकाल मे उपवास आदि के कारण उत्पन्न दाह से पीडित होने पर भी जो साधु उसके प्रतिकार का विचार न करके अपने चरित्र मे दृढता पूर्वक स्थित रहते हैं और उष्णता के कष्ट को समतापूर्वक सहन करते है, उनके यह उष्ण-परीषह-जय है।
जेनदर्शन पारिभाषिक कोश / 57