Book Title: Jain Darshan
Author(s): Kshamasagar
Publisher: Kshamasagar

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Page 268
________________ 3 पचाचार (5) दर्शनाचार, ज्ञानाचार, चारित्राचार, तपाचार, वीर्याचार ___4 आवश्यक (6) सामायिक, स्तुति (स्तवन), वदना, प्रतिक्रमण, प्रत्याख्यान, कायोत्सर्ग 5. गुप्ति (3) मनोगुप्ति, वचनगुप्ति, कायगुप्ति • उपाध्याय (25) मूलगुण ग्यारह अङ्ग और चौदह पूर्व (द श्रुतज्ञान) • साधु (28) मूलगुण समिति (5) ईर्या, भाषा, एषणा, आदाननिक्षेपण, प्रतिष्ठापन महाव्रत (5) अहिसा, सत्य, अचौर्य, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह इन्द्रिय विजय (5) स्पर्शन, रसना, घ्राण, चक्षु और श्रोत्र-इन्द्रिय-विजय ___ आवश्यक (6) सामायिक, स्तुति, वन्दना, प्रतिक्रमण, प्रत्याख्यान, कायोत्सर्ग सात शेष गुण अचेलकत्व, अदन्तधोवन, अस्नान, एक-भक्त, स्थिति-भोजन, केशलौच, क्षितिशयन 276 / जैनदर्शन पारिभाषिक कोश

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