Book Title: Jain Bhajan Prakash 04 Author(s): Joravarmal Vayad Publisher: Joravarmal Vayad View full book textPage 8
________________ (२) मारे॥ प्रभु मोटा जगदेव ॥ दुःख दोहग दूरे टलैरे ॥ ज्यो सारै तुमसेव ॥ जिनन्द. ॥ ४॥ नेमौंनाथ बाबीसमारे ॥ पतुख बली अरिहंत ॥ राजुलदेको छाड़ करे ॥ शिव बधुबेग बरन्त ॥ जिनन्द ॥ ५॥ पार्श्वनाथ हड्व मांन जीरे ॥ सर्व जिनन्द चौबीस ॥ भजन करो अवि जीवडा रे॥ तो शिव विसवा बौस ॥ जिनन्द० ॥ ६॥ सम्बत उगणीसै छासठैरे ॥ बैसाख सुदी बुधवार । जोरावर एकाम तिथिरे ॥ प्रणमंत बारंबार जिनन्द० ॥ ७॥ इति । ___अथबोस बहरमान सत्वन ॥ राग० ॥ कंथ तमाखु छोड़ दे॥ मुखड़ा मैं आवै बासजी पालौजा तमाखु छोड़ दे। एदेशो० पात उठी भजिये भवि ॥ प्रभु बहरमान जिन बौसजी ॥ प्रा० एम० ॥ श्री सौमंद्र साहेवा। दुजा युगमन्द्र देवनी ॥Page Navigation
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