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तत्त्वमीमांसा
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प्रमाणमीमांसा की आधार भूमि नयवाद
इस सापेक्षता की दृष्टि के आधार पर ही जैन परम्परा की नयवाद की अवधारणा टिकी है। परवर्ती युग में जब जैन आचार्यों ने प्रमाण-मीमांसा पर अपनी लेखनी चलाई तो उसके मूल में यह सापेक्षता दृष्टिमूलक नयवाद ही रहा । ऐतिहासिक दृष्टि से प्रमाण-विवेचन की अपेक्षा नय-विवेचन अधिक प्राचीन है और यही जैन प्रमाण-मीमांसा का मौलिक तत्त्व है। पंचविधज्ञान विचारणा
प्रमाण-मीमांसा के क्षेत्र में आने से पहले जैन परम्परा ज्ञान-मीमांसा का सूक्ष्म विवेचन कर रही थी। यह विवेचन जैन परम्परा की अपनी विशेषता है और मूलत: आगमयुग की देन है। यही कारण है कि जैन आगमों पर काम करने वाले विद्वानों का ध्यान ज्ञान-मीमांसा की
ओर विशेष रूप से गया। 1951 में ही डॉ. नथमल टाटिया ने अपने डी. लिट् के शोध प्रबन्ध के द्वितीय अध्याय में आगमों के आधार पर जैन ज्ञान-मीमांसा की पचास पृष्ठों में मर्मस्पर्शी विवेचना की।' तदनन्तर डॉ. इन्द्रचन्द्र शास्त्री ने अपना पी-एच. डी. का पूरा शोध-प्रबन्ध आगम आधारित जैन ज्ञान-मीमांसा पर ही लिखा। अभी साध्वी श्रुतयशा जी ने सन् 1999 में ज्ञान-मीमांसा पर शोध की जिसमें भी आगमों को ही मुख्यता दी गई। जिज्ञासुओं को ज्ञान-मीमांसा में आगमों का वैशिष्ट्य इन ग्रंथों में विस्तार से मिल जाता है। अत: हमने उसका पिष्टपेषण यहां नहीं किया है।
मुख्य बात यह है कि जैन आगमों के अनुसार ज्ञान आत्मा का स्वभाव है। ज्ञान बाहर से नहीं आता वह आत्मा में पहले से ही है किंतु ज्ञानावरणीय कर्म के कारण पूर्ण रूप से अभिव्यक्त नहीं हो पाता। ज्ञानावरणीय कर्मकेक्षयोपशम केतारतम्यसे ज्ञान का तारतम्य बनता है। ज्ञानावरणीय कर्म का क्षय केवलज्ञानके अभिव्यक्त होने का हेतु है। यह ज्ञान-मीमांसा, द्रव्य-मीमांसा के अन्तर्गत आत्म-मीमांसा का आधार बनती है। द्रव्यमीमांसा
हमने ऊपर ERE के प्रमाण के आधार पर तत्त्वमीमांसा के तीन घटक माने हैं। ज्ञानमीमांसा एवं तत्त्वमीमांसा का आचार मीमांसा पर प्रभाव संक्षेप में इंगित कर देने के अनन्तर अब तत्त्वमीमांसा के तृतीय घटक प्रमेय मीमांसा अथवा द्रव्यमीमांसा पक्ष पर विचार करना क्रमप्राप्त है। प्रमाण से प्रमेय की सिद्धि होती है-प्रमेयसिद्धिः प्रमाणाद्धि।
1. Tatia, Nathmal, Studies in Jain Philosophy, (Banaras, 1951) 2. Sastri, I.C., Jain Epistemology, ) Varanasi, 1990) 3. श्रुतयशा, साध्वी, ज्ञान-मीमांसा, (लाडनूं, 1999)
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