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कर्ममीमांसा
साधक अपनी साधना के द्वारा उदीरणा के माध्यम से कर्म भोग करके शीघ्रता से अपने लक्ष्य की निकटता को प्राप्त कर सकता है।
महावीर - गौतम का संवाद
गौतम ने भगवान से पूछा - भंते!
1.
जीव उदीर्ण कर्म पुद्गलों की उदीरणा करता है ?
2.
अनुदीर्ण कर्म पुद्गलों की उदीरणा करता है ?
3.
जीव अनुदीर्ण किन्तु उदीरणा योग्य कर्म पुद्गलों की उदीरणा करता है ? 4. जीव उदयानन्तर पश्चात्कृत कर्म पुद्गलों की उदीरणा करता है ?
भगवान ने कहा- गौतम !
1.
जीव उदीर्ण की उदीरणा नहीं करता।
2.
जीव अनुदीर्ण की उदीरणा नहीं करता ।
3. जीव अनुदीर्ण किन्तु उदीरणा - योग्य की उदीरणा करता है ।
4. जीव उदयानन्तर पश्चात्कृत कर्म की उदीरणा नहीं करता । '
नोकर्म की निर्जरा
कर्म का ही उदय होता है, कर्म की ही वेदना होती है। इसी संदर्भ में गौतम ने प्रश्न उपस्थित किया भंते ! क्या जो वदेना है वह निर्जरा है ? जो निर्जरा है वह वेदना है ? भगवान ने कहा गौतम यह अर्थ संगत नहीं है । वेदना कर्म की होती है, निर्जरा नोकर्म की होती है । ' जब उदय में आए हुए कर्म अपना फल देकर निवीर्य बन जाते हैं उनको नोकर्म कहते हैं। निर्जरा उनकी ही होती है । वेदना और निर्जरा एक नहीं है, भिन्न-भिन्न है । ' तत्त्वार्थ सूत्र में वेदना और निर्जरा को एक माना गया है । '
वेदना और निर्जरा के सम्बन्ध में तत्त्वार्थ एवं भगवती की अवधारणा में भिन्नता परिलक्षित है । यद्यपि यह स्पष्ट ही है कि वेदना के बाद ही निर्जरा होती है । तत्त्वार्थभाष्यानुसारिणी में वेदना एवं विपाक को निर्जरा के पर्यायवाची मानकर भी उसमें भेद किया है । वेदना अनुभव रूप है । उसका स्वादन विपाक है तथा जिन कर्मों का रस अनुभूत कर लिया है उनका आत्मप्रदेशों से परिशाटन / अलग हो जाना निर्जरा है ।' भाष्यानुसारिणी का विश्लेषण भगवती की अवधारणा का ही अनुगमन है । भगवती में वेदना एवं निर्जरा दो काही उल्लेख है जबकि तत्त्वार्थभाष्य एवं उसकी टीका में इन दो के अतिरिक्त विपाक का
1. अंगसुत्ताणि 2, (भगवई) 1/156
2. अंगसुत्ताणि 2, (भगवई) 7/75 गोयमा । कम्मं वेदणा, नोकम्मं निज्जरा..........
3. वही 7/75 जा वेदणा न सा निज्जरा जा निज्जरा न सा वेदणा ।
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4. तत्त्वार्थसूत्र भाष्य 9 / 7 (निर्जरानुप्रेक्षा) निर्जरा, वेदना, विपाक इत्यनर्थान्तरम् ।
5. तत्त्वार्थभाष्यानुसारिणी टीका 9 / 7 तत्र वेदना अनुभव: तस्या स्वादनं विपचनं विपाकः, आत्मप्रदेशभ्योऽनुभूत रसकर्मपुद्गलपरिशाटना ।
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. निर्जरा
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