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जागे सो महावीर
की मात्र एक ही इच्छा पूरी होगी, इसलिए सबलोग उस एक इच्छा को ही लिखवाएँ जो कि सर्वोपरि हो।' ब्राह्मण गाँव में गया। उसने घर-घर जाकर भगवान की कही हुई वह बात कह दी तथा प्रत्येक व्यक्ति से उसकी सर्वोपरि एक इच्छा जान ली।
अपना कार्य समाप्त होने पर वह एक लम्बी-चौड़ी सूची लेकर भगवान के पास पहुँचा। भगवान ने कहा, 'तुम जो सूची लाए हो, उसे पढ़ डालो।' उसने पूरी सूची पढ़ दी। किसी ने पुत्र मांगा था, किसी ने पति, तो किसी ने पत्नी। किसी ने धन-सम्पत्ति मांगी तो किसी ने रोगों का निवारण मांगा था। भगवान बोले, 'अब तो तुम्हें अपने प्रश्न का समाधान मिल गया होगा।' ब्राह्मण समझ नहीं पाया। वह बोला, 'प्रभु ! मेरी समझ में तो कुछ भी नहीं आया।' भगवान बोले, 'तुम इतनी बड़ी सूची लेकर आए लेकिन उसमें मुक्ति किसी ने भी नहीं मांगी। मुक्ति कोई चाहता ही नहीं, वह सिर्फ व्यक्ति की बातों में ही है।' ____ आप में से कितने लोग मुक्ति चाहते हैं? कोई नहीं चाहता। यहाँ से जब खड़े होंगे तो बोल दोगे- 'त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव।' अभी तो भगवान ही सब कुछ है, लेकिन जब बेटे के सामने खड़े होंगे तो कहोगे कि 'मैं ही माता, मैं ही पिता और मैं ही सब कुछ हूँ।' मंदिर में जाकर कहोगे, 'शिवमस्तु सर्वजगतः' अर्थात् सारे संसार का कल्याण हो और फिर मन ही मन बोलोगे कि भगवान मेरा कल्याण हो, मेरा भला हो जाए। संस्कृत और प्राकृत में जो प्रार्थनाएँ होती है, वे ऊँचे स्वरों में गाई जाती हैं ताकि सब सुन सकें। कितनी ऊँची-ऊँची भावनाएँ हैं स्वरों में, किन्तु मन में धीरे-धीरे बुदबुदाते हो अपनी तुच्छ प्रार्थनाएँ कि भगवान मेरा यह काम हो जाए, मेरी यह इच्छा पूरी हो जाए। ___ भगवान ने इसीलिए कहा है कि मुक्ति का मार्ग सबके लिए नहीं है। यह मार्ग मात्र उसी के लिए है जो वास्तविक रूप से इस पार से उस पार जाना चाहता है। भगवान कहते हैं - 'यदि तू इस भयंकर और घोर भवसागर से पार होना चाहता है तो हे बुद्धिमान पुरुष ! शीघ्र ही तप और संयम रूपी नौका को ग्रहण कर।' पार वे ही तो लगते हैं जो नौका में सवार होते हैं और जिनकी बाजुओं में तैरने की प्रबल शक्ति है। जो व्यक्ति इस डर से पानी में नहीं उतरते कि कहीं हम डूब न जाएँ, वे उस पार के आनन्द से सदैव वंचित ही रहते हैं। उनकी स्थिति कीचड़ में पड़े हुए उस कीड़े की तरह होती है जिसे कीचड़ से बाहर निकलने का आमंत्रण भी मिलता है और वहाँ की स्वतंत्रता के बारे में, उसके आनन्द के बारे में भी उसे बताया जाता
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