________________
१९०
जागे सो महावीर
मांस भी देना पड़े तो ऐसे क्षणों में तुम अपनी संस्कृति का पालन कर लेना। हमने वह युग भी देखा है जहाँ कोई राजकुमार शादी के लिए जाता है और बारातियों के स्वागत और सत्कार के लिए पशुओं को बाँध रखा होता है जिनका ताजा मांस अतिथियों को परोसा जाना था। उन पशुओं की करुण चीत्कार सुनकर वह राजकुमार अपना रथ मोड़ लेता है और संसार का मार्ग छोड़कर संयम का मार्ग अंगीकार कर लेता है।
हमने वह युगभी देखा है जहाँ पानी की एक बूंद को व्यर्थ करना अस्तित्व के साथ खिलवाड़ करना माना जाता था। हमने वह युग भी देखा है जहाँ एक पेड़ को उगाना एक नए जीवन को मूर्त रूप देना है और पेड़ की एक पत्ती को तोड़ना एक सम्पूर्ण जीवन का अपहरण है। हमने वह युग भी देखा है जहाँ आदमी ही आदमी के खून का प्यासा है। हमने वह युग भी देखा है जहाँ आदमी आदमी से प्यार करता है।
राजा शिवि ने शरणागत कबूतर की रक्षा के लिए बाज के आगेअपने आपको ही समर्पित कर दिया था। नेमि ने जीव-दया से प्रेरित होकर विवाह का त्याग कर दिया। कृष्ण तो गौ-प्रेम के चलते प्रेम के अवतार माने जाते हैं। जीसस क्रॉस पर लटक कर भी गुनहगारों को माफ करने की उदारता दिखाते हैं। अहिंसा ने जहाँ ये सारे दृश्य देखे हैं, वहीं नारी के शील की रक्षा के लिए राम-रावण के बीच भयंकर संग्राम भी देखे हैं। ___ अधिकारों की रक्षा के लिए कौरव-पांडवों के बीच हमने महाभारत भी झेला है। पिछले पच्चीस सौ सालों में पांच हजार से भी अधिक युद्ध हुए हैं। मानवता आज भी हिंसा और उग्रवाद से घिरी हुई है। विश्व की महानतम शक्तियों को भी अब इस बात का अहसास होने लग गया है कि विश्व के अस्तित्व की रक्षा हिंसा से नहीं बल्कि अहिंसा से ही होगी। आज नहीं तो कल हर किसी को अहिंसा माता की शरण में आना होगा। अहिंसा को अक्षुण्ण रखने के लिए सबको अपनी पवित्र आहुतियाँ देनी होंगी। ___ अहिंसा अपने आप में सदियों-सदियों का विकास है। खिला हुआ फूल आज हमारे हाथों में है। वह सृष्टि के महापुरुषों द्वारा अनवरत किए गए चिंतन, मनन और परिष्कार का ही परिणाम है। आज हम जिस दौर से गुजर रहे हैं, उन क्षणों में भी व्यक्ति विवेक कर रहा है। यह देश जो सारे विश्व के लिए महाशक्ति के
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org