Book Title: Jage So Mahavir
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 234
________________ जागे सो महावीर मेरे प्रिय आत्मन् ! जिस किसी महानुभाव को सत्य और साधना की तरफ कदम बढ़ाने हों, महावीर उनके लिए प्रेरणा के प्रकाश-स्तम्भ का काम कर सकते हैं। अगर जीवन में शांति की सुवास चाहिए और मुक्ति का माधुर्य, तो महावीर हमारे लिए वैसे ही काम कर सकते हैं जैसे कि अन्धकार को मिटाने के लिए चिराग काम करता है। __महावीर के सूत्र उन लोगों के लिए तो काम के हैं ही, जिन्हें साधना के मार्ग पर किसी दीपशिखा की आवश्यकता है, पर ये सूत्र उन लोगों के लिए भी रामबाण का काम कर सकते हैं जो सांसारिक पदार्थों की गहन मूर्छा और प्रगाढ़ प्रमाद में खोए पड़े हैं। जैसे कोई व्यक्ति प्रगाढ़ निद्रा में सोया हुआ है और किसी आदमी द्वारा छिटके जाने वाले चुल्लू भर पानी के छींटे गहरी निद्रा से जगा देते हैं, महावीर के सूत्र ऐसे ही किसी कीमिया का, आत्म-जागरूकता के शंखनाद का काम कर सकते हैं। दुनिया में दो तरह के मूर्च्छित व्यक्ति हैं। पहले तो वे, जिन्हें मोह-माया से उपरत होने के लिए कोई मार्गदर्शक ही नहीं मिलता और दूसरे वे, जो साधना के पथ पर कदम तो बढ़ा देते हैं, पर उन्हें मंजिलें मकसूद नहीं होतीं। साधना के पथ पर कदम बढ़ा देने पर भी यदि व्यक्ति को मंजिल नहीं प्राप्त होती है तो वह स्वयं को Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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