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संपादक मंडल
मुनिराज श्री जिनेन्द्रविजयजी जिनेन्द्र ! जिनेन्द्र की भक्ति कर लो गुरु से जो पाया उसे सार्थक कर लो
___प्रवचनपटु तो तुम हो ही धर्म की गंगा में अवगाहन कर लो
मुनिराज श्री हितेशचंद्रविजयजी प्रवचनपटु क्रिया में दक्ष कहलायें धर्म का मर्म खुलकर बतलायें ऐसे है मुनि हितेशचन्द्रविजयजी | एक एक बात को भली भांति समझाये
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मुनिराज श्री पीयूषचंद्रविजयजी पीयूष की तरह रहते है जीवन में
तत्वज्ञान समझाते है प्रवचन में ऋषभ के प्रिय शिष्य है पीयूषचन्द्रविजय निश्चय ही महकेंगे राजेन्द्र के उपवन में
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मुनिराज श्री लाभेशविजयजी गुरु लोकेन्द्र के है शिष्य प्रधान जिनवाणी पर देते रहते व्याख्यान बातें भी करते चतुराई से भरी भरी मन की बातों का लगने न दे भान लाभेशविजयजी
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