Book Title: Gnatadharmkathanga Sutram Part 03
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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अनगारधर्मामृतवपिणी टी० अ० १७ कालिकद्वीपगत आफीश्विवक्तव्यता ६०५ 'वित्तीणाणय' वृत्तवीणाना-गोलाकार वीणाना च-अन्येषा च बहूनां नानाविधानां 'सोइदियपाउग्गाण' श्रोत्रोन्द्रिय प्रायोग्याणा-कर्णेन्द्रियमुखजनकाना द्रव्याणां तन्व्यादिरूपाणा शकटीशाकट भरन्ति तैर्वीणादिभिरित्यर्थ , भृत्वा बहूना 'विण्हाणय जाव सुकाणय' कृष्णाना यावत्-नीलाना पीताना रक्ताना शुक्लानां च कृष्णादिपञ्चवर्णयुक्ताना 'क्ट्ठकम्माण य ' काष्ठकर्मणा-काष्ठनिर्मितपुत्तलिकादी. नाम् , ' पोत्थकम्माणय' पुस्तषु कर्मगा-पुस्तेपु-वस्त्रताडपत्रकलादिपु कर्माणि= लेखनकर्माणि, तेपाम् , 'चित्तकम्माण य' चित्रर्मणा-पट्टकादिपु चित्ररूपाणाम् , 'लेप्पकम्मागय' लेप्यकर्मणान्मृत्तिकासे टिकादिना वल्ल्याद्याकाररचना विशेषरूपाणाम् , तथा-' गथिमाण य' ग्रन्थिमाना कौशलातिशयेन ग्रन्थिसमुदायनिष्पादितानाम्-यावत्-' वेढिमाण य' वेप्टिमाना लतादि वेष्टनतो निष्पादितानाम् , ' पूरिमाण य' पूरिमाणा-क्नकादिपु पुत्तलिकावत् छिद्रादिपूरणेन के आकार जैसी वीणाओं को, भभाओं भेरियो-को, पडू भ्रामरियों को -गोलाकार वीणाओं को, तया और भी अनेक विधश्रोत्रेन्द्रिय सुखजनक तत्री आदिरूप द्रव्यों को, भरा-भर करके फिर नीले, पीले, रक्त, शुक्ल और कृष्ण रग से रगे हुए काठ के बने हुए खिलौनों को, पुस्तकर्मो को-वस्त्र, ताडपत्र एव कागेज आदि पर लिखे विविध प्रकार के लेखों को, निवन्धों को उपदेश पूर्ण-दोहे चौपाइ आदि में लिखी हुई कविता आदि को को-चित्रकों को-पटिया आदि पर उकेरे गये विविध चित्रों को-लेप्यकर्मों को-मृत्तिका सेटिका आदि से बल्ली आदि रूप में बनाये गये चित्रों को, अथिमों को विशेष चतुराई के साथ गाठों से घनाये गये खिलौनों को, लताओं आदि द्वारा वेष्टित करके २ रची गई चीजों को,-टोपियों को, हाथों की पैरों की अगुलियों में पहिरने योग्य
वी वाणामा, म मामा-शमा (नारा) ५३-भाभरीमा, गो मार વાળી વીણાઓ તેમજ બીજા પણ ઘણું કન્દ્રિયને સુખ આપે તેવા તત્રી વગેરે સાધનને ભર્યા ભરીને લીલા, પીળા, રાતા, સફેદ અને કાળા રંગોથી ગાએલા લાકડાના બનેલા રમકડાને, પુસ્તકર્મોને વસ્ત્ર તાડપત્ર અને કાગળ વગેરે ઉપર લખાએલા જાતજાતના લેખેને, નિબ ધોને, દૂહા, ચોપાઈ વગેરેમાં લખાએલી ઉપદેશક કવિતાઓ વગેરેને, ચિત્ર કર્મોને-ફલક વગેરે ઉપર ચિત્રિત કરેલા ઘણું ચિત્રને લેપ્ટ કને, માટી સેટિકા વગેરેથી લતા વગેરે રૂપમાં બનાવવામા આવેલા ચિત્રને, ગ્રથિમેને-વિશેચાતુર્યથી ગાઠેથી બનાવવામા આવેલા રમકડાને, લતાઓ વગેરે વડે વેષ્ટિત કરીને બનાવવામાં આવેલી વસ્તુ