Book Title: Gnatadharmkathanga Sutram Part 03
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 1216
________________ ४६ মমতাজ अथ दशमो वर्ग मारभ्यते-दसमग ' इत्यादि। मूलम्-दसमस्त उखेवओ, एवं सटु जयू | जाव अट्ट अज्झयणा पण्णत्ता, त जहा कण्हा य कण्हराई रामा तहरामरक्खिया वसू य । वसुगुत्ता वसुमित्ता वसुधरा चेव ईसाणे॥१॥ पढमज्झयणस्त उक्खेवओ, एवं खलु जबू। तेणं कालेणं तेणं समएणं कण्हादेवी ईसाणे कप्पे कण्हवडेंसए विमाणे सभाए सुहम्माए कण्हसि सीहासणंसि सेस जहा कालीए एवं अवि अज्झयणा कालीगमएणं णेयव्या, णवर पुव्वभवे वाणारसीए नयरीए दो जणीओ रायगिहे नयरे दो जणीओ सावत्थीए नयरीए दो जणीओ कोसबीए नयरीए दो जणीओ, रामे पिया धम्मा माया सव्वओऽवि पासस्ल अरहओ अंतिए पव्वइयाओ पुप्फचूलाए अजाए सिस्प्तिणीयत्ताए ईसाणस्त अग्गमहिसीओ ठिई णव पलिओवमाई महाविदेहे वासे सिज्झिहिति बुज्जिहिति मुच्चिहिति सव्वदुक्खाणं अत काहिति। एवं खलु जवू । णिक्खेवओ दसमवग्गस्त ॥ सू० १५ ॥ ॥ दलमो वग्गो समत्तो ॥ १० ॥ टीका-'दसमस्से ' ति दशमस्य उत्क्षेपकः । एव खलु हे जम्मू । यावत् अष्ट-अभ्ययनानि प्रज्ञप्तानि तद्यथा-तानि गाथया प्रदर्श्यन्ते ' कण्हे 'त्यादि । सघ महाविदेह क्षेत्र से सिद्ध अवस्था प्राप्त करेंगी-यावत् सर्व दुःखों का अन्त करेगी। सू०१४ ॥ ॥ नवमवर्ग समास ॥ છે આ બધી મહાવિદેહ ક્ષેત્રમાથી સિદ્ધ અવસ્થા પ્રાપ્ત કરશે યાવતુ સર્વ ૬ બેન અત કરશે | મૃ૧૪ | નવ વર્ગ સમાસ

Loading...

Page Navigation
1 ... 1214 1215 1216 1217 1218 1219 1220 1221 1222